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पापांकुशा एकादशी पर तुलसी के उपाय: धन-धान्य की कमी से बचें

पापांकुशा एकादशी, जो विजयादशमी के बाद आती है, इस वर्ष 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत करने से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। विशेष रूप से तुलसी की पूजा का महत्व है। जानें इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय, पूजा विधि और मंत्र, जो आपको धन-धान्य की कमी से बचाने में मदद करेंगे।
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पापांकुशा एकादशी पर तुलसी के उपाय: धन-धान्य की कमी से बचें

पापांकुशा एकादशी का महत्व


धन-धान्य की कमी नहीं होगी
पापांकुशा एकादशी, जो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आती है, विजयादशमी के एक दिन बाद मनाई जाती है। इस वर्ष यह व्रत 3 अक्टूबर, शुक्रवार को होगा। इस दिन व्रत करने से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी दुख दूर होते हैं।


पूजा विधि

एकादशी की शाम को तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाएं और तुलसी की 7 या 11 बार परिक्रमा करें। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। दीपक जलाने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


जरूरी कार्य

तुलसी को विष्णुप्रिया कहा जाता है, इसलिए भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का होना आवश्यक है। एकादशी की पूजा में तुलसी दल का समावेश करें ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।


मंत्रों का जप


  • महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।


तुलसी गायत्री


  • ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।


तुलसी स्तुति मंत्र


  • देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै:।
    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

  • तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

  • लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत।
    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


तुलसी नामाष्टक मंत्र


  • वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

  • एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।


ध्यान रखने योग्य बातें

एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित करना, तुलसी के पत्ते तोड़ना या तुलसी को स्पर्श करना शुभ नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी पर तुलसी माता निर्जला व्रत करती हैं। इन कार्यों से तुलसी जी के व्रत में विघ्न पड़ सकता है।


भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करने के लिए, आप एक दिन पहले ही पत्ते तोड़कर रख सकते हैं या गमले में गिरे हुए पत्तों का उपयोग कर सकते हैं।