पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध की तिथियां और विधि
पितृ पक्ष 2025 का आयोजन 07 सितंबर से 21 सितंबर तक होगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और ब्राह्मणों को भोज कराने की परंपरा है। जानें पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां और श्राद्ध करने की विधि, जिससे आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकें।
Sep 8, 2025, 12:47 IST
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पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के 16 दिन पूर्वजों को संतुष्ट करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस अवधि में किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों का ऋण चुकता होता है और उनकी आत्मा को शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पितृ पक्ष का आयोजन होता है। इस वर्ष, पितृ पक्ष की शुरुआत 07 सितंबर 2025 को होगी और यह 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोज कराने की परंपरा है।
पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों से मिलते हैं। इस समय पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से परिवार पर पूर्वजों की कृपा बनी रहती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि श्राद्ध के दौरान पितरों की शांति के लिए पूजा कैसे करनी चाहिए।
पितृ पक्ष की तिथियां
पितृ पक्ष तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध - 07 सितंबर 2025
प्रतिपदा श्राद्ध - 08 सितंबर 2025
द्वितीया श्राद्ध - 09 सितंबर 2025
तृतीया श्राद्ध - 10 सितंबर 2025
चतुर्थी श्राद्ध - 10 सितंबर 2025
पंचमी श्राद्ध - 11 सितंबर 2025
महा भरणी - 11 सितंबर 2025
षष्ठी श्राद्ध - 12 सितंबर 2025
सप्तमी श्राद्ध - 13 सितंबर 2025
अष्टमी श्राद्ध - 14 सितंबर 2025
नवमी श्राद्ध - 15 सितंबर 2025
दशमी श्राद्ध - 16 सितंबर 2025
एकादशी श्राद्ध - 17 सितंबर 2025
द्वादशी श्राद्ध - 18 सितंबर 2025
त्रयोदशी श्राद्ध - 19 सितंबर 2025
मघा श्राद्ध - 19 सितंबर 2025
चतुर्दशी श्राद्ध - 20 सितंबर 2025
सर्वपितृ अमावस्या - 21 सितंबर 2025
श्राद्ध करने की विधि
श्राद्ध करने की विधि
पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध तिथि के अनुसार अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। यदि तिथि याद नहीं है, तो आप सर्वपितृ अमावस्या पर भी श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद घर की सफाई का विशेष ध्यान रखें। पितृ पक्ष में सूर्य देव की पूजा की जाती है, इसलिए उन्हें अर्घ्य दें और घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं। इससे आपके पितर प्रसन्न होते हैं।
इसके बाद, पितरों की पसंद के अनुसार भोजन तैयार करें। भोजन का पहला भोग पांच प्रकार के जीवों जैसे कौवा, कुत्ता, गाय, चीटियों और देवताओं को लगाएं। फिर पितरों की तस्वीर के सामने धूप लगाएं और उनकी पूजा आरंभ करें। पूजा के दौरान सफेद वस्तुओं का उपयोग करें, जैसे उड़द, सफेद फूल, घी, गाय का दूध, खीर, चावल और मूंग। पितरों को भोजन का भोग लगाएं और भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करें। अंत में, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा दें।