पितृ पक्ष के दौरान पालन करने योग्य नियम और परंपराएं

पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह 16 दिनों तक चलता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस दौरान दान-पुण्य करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
भोजन के लिए आवश्यक नियम
श्राद्ध के समय भोजन बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसा न करने पर पूर्वज नाराज हो सकते हैं।
सात्विक भोजन का चयन
श्राद्ध के दौरान केवल सात्विक भोजन बनाना चाहिए। प्याज, लहसुन, पीली सरसों का तेल और बैंगन का उपयोग नहीं करना चाहिए। दूध और दही गाय का होना चाहिए।
भोजन में क्या शामिल करें
खीर, पूरी, आलू की सब्जी, छोले या कद्दू की सब्जी जैसे व्यंजन पितरों के लिए बनाए जा सकते हैं। मिठाई भी शामिल करें।
शुद्धता का ध्यान रखें
भोजन बनाने से पहले रसोई को अच्छी तरह से साफ करें। स्नान करने के बाद ही खाना बनाना चाहिए।
बर्तन का चयन
ब्राह्मणों को कांसे, चांदी या पत्तल में भोजन कराना चाहिए। कांच और प्लास्टिक का उपयोग वर्जित है।
दक्षिण दिशा में भोजन
ब्राह्मण को दक्षिण दिशा में भोजन कराएं और उन्हें विदाई देते समय आशीर्वाद लें।
पितृ पक्ष में क्या करें
- जिस तिथि पर पूर्वज का निधन हुआ, उस दिन श्राद्ध करें।
- श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज कराना आवश्यक है।
- तर्पण में काले तिल, जौ और जल का उपयोग करें।
- हर दिन यह क्रिया करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं, यदि वे उपलब्ध न हों तो जरूरतमंद को भोजन दें।
- दान का महत्व है, अन्न, वस्त्र और अन्य वस्तुओं का दान करें।
- सात्विक और पवित्र वातावरण बनाए रखें।
पितृ पक्ष में क्या न करें
- तामसिक भोजन, जैसे मांस और शराब का सेवन न करें।
- शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि न करें।
- बाल और नाखून न काटें।
- नई वस्तुएं न खरीदें।
- भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग न करें।
- घर में शांति बनाए रखें।
- किसी से बहस न करें।