पितृ पक्ष में श्राद्ध के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

पितृ पक्ष का महत्व और श्राद्ध की प्रक्रिया
ब्रह्मपुराण में उल्लेख है कि पितरों की प्रसन्नता से व्यक्ति को आयु, धन, विद्या, मोक्ष और सुख की प्राप्ति होती है। श्राद्ध में कुछ विशेष बातों का ध्यान न रखने पर पितृ नाराज हो सकते हैं।
यदि पितृ देवता नाराज हो जाते हैं, तो यह पितृ दोष का कारण बन सकता है, जो जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, पितृ दोष से बचने के लिए हर छोटी बात का ध्यान रखना आवश्यक है।
श्राद्ध का आयोजन दोपहर में करना चाहिए। इसमें तीन चीजें विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं - दुहिता पुत्र, कुपतकाल (दिन का आठवां भाग) और काला तिल। इनका होना श्राद्ध में आवश्यक है।
श्राद्ध के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
श्राद्ध में तीन महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखें:
पहले, अपने आप को शुद्ध करें और क्रोध से दूर रहें। श्राद्ध में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पद्मपुराण के अनुसार, श्राद्ध का ढोंग नहीं करना चाहिए, इसे गुप्त रूप से करना चाहिए। यदि आप धनवान हैं, तो इसका प्रदर्शन न करें।
भोजन के माध्यम से मित्रता या सामाजिक संबंध स्थापित करने से बचें, क्योंकि यह अच्छे परिणाम नहीं देता।
इस दौरान मांगलिक कार्य, शुभ कार्य या विवाह की चर्चा वर्जित है। श्राद्ध पक्ष समाप्त होने के बाद ही इन कार्यों को करना शुभ फल देता है।