पितृदोष से मुक्ति के लिए विशेष उपाय: जानें कौन से पशु-पक्षी और पेड़ हैं महत्वपूर्ण
पितृपक्ष का महत्व
Kaalchakra Today 15 September 2025: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए पितृपक्ष का हर दिन विशेष महत्व रखता है। यह पितृपक्ष 21 सितंबर 2025 को समाप्त होगा। इस दौरान, पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही, पितृदोष से मुक्ति के लिए कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों को अपने पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है, उन्हें जीवन में कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहती है। पूजा-पाठ के अलावा, पितृपक्ष में कुछ पौधों को पवित्र स्थान पर लगाना और उनकी देखभाल करना, साथ ही कुछ पशु-पक्षियों को भोजन कराना भी पितरों को प्रसन्न करता है।
पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय
पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय
- पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, जबकि इसे काटने से पितृदोष और शनिदोष उत्पन्न होता है।
- किसी अपवित्र स्थान पर लगे पीपल के पेड़ को निकालकर पवित्र स्थान पर लगाने से कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है।
अमावस्या के दिन पीपल में जल चढ़ाने और दीपदान करने से कष्ट दूर होते हैं।
- यदि आपके पितरों को मुक्ति नहीं मिल पाई है तो बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करें। बरगद का पेड़ लगाने और उसमें जल चढ़ाने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- पितृपक्ष में पितरों का पिंडदान करने के बाद पीपल या बरगद का पौधा लगाएं। साथ ही रोजाना पौधों में जल चढ़ाएं। इससे अतृप्त पितरों को शांति मिलेगी।
- पुराणों में कौवे को देवपुत्र माना गया है। कौवा शनिदेव का वाहन है और वायु तत्व का प्रतीक है। कौवों को पितरों का आश्रम स्थल भी माना जाता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कौवे यमराज के संदेश वाहक हैं। कौवों को भोजन कराने से पितृदोष और राहु-केतु दोष दूर होता है।
- हंस एक ऐसा पक्षी है, जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। पितृपक्ष में मां सरस्वती की पूजा करके हंस की उपासना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
यदि आप अन्य पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।