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पितृपक्ष 2025: श्राद्ध की तिथियों और महत्व की जानकारी

पितृपक्ष 2025 का आयोजन 7 सितंबर से 21 सितंबर तक होगा, जिसमें हर दिन किसी न किसी पितृ का श्राद्ध किया जाएगा। इस दौरान सही तिथियों पर श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, जिससे परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। जानें इस वर्ष की महत्वपूर्ण तिथियों और श्राद्ध के महत्व के बारे में।
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पितृपक्ष 2025: श्राद्ध की तिथियों और महत्व की जानकारी

पितृपक्ष का महत्व

Kaalchakra Today 6 September 2025: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए पितृपक्ष का हर दिन विशेष महत्व रखता है। इस दौरान हर तिथि पर किसी न किसी पितृ का श्राद्ध किया जाता है। यदि श्राद्ध सही तिथि और शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो पितृ और पूर्वज जल्दी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिनके पितृ उनसे संतुष्ट होते हैं, वे अपने परिवार के सदस्यों पर विशेष कृपा बनाए रखते हैं। इससे साधक को धन की कमी, स्वास्थ्य समस्याओं और असफलताओं का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, जिनके पितृ असंतुष्ट होते हैं, उन्हें पितृ दोष का सामना करना पड़ता है, जिससे वे जीवनभर परेशान रहते हैं।


पितृपक्ष की अवधि

द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है, जो आश्विन माह की अमावस्या तक चलती है। इस वर्ष, पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। इन 15 दिनों में पितरों की मृत्यु और रिश्तों के अनुसार श्राद्ध कार्य किए जाते हैं।


पितृपक्ष की तिथियां

पितृपक्ष की कुल 15 तिथियां


पितृपक्ष 2025: श्राद्ध की तिथियों और महत्व की जानकारी


  • पूर्णिमा श्राद्ध


7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा श्राद्ध है, जिसे श्राद्ध पूर्णिमा या प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। इस दिन जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पूर्णिमा तिथि की जगह अमावस्या तिथि पर करना चाहिए। इस दिन अन्न और भोजन का दान करना उत्तम माना जाता है। इसके अलावा देव और ऋषियों का जल व फल से तर्पण करना चाहिए।



  • प्रतिपदा श्राद्ध


प्रतिपदा तिथि को पड़वा श्राद्ध कहा जाता है। जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि में हुई थी, उनका इस तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा दिवंगत आत्माओं, नाना-नानी और उनके रिश्तेदारों के आत्माओं की शांति के लिए इस दिन तर्पण व अनुष्ठान किए जाते हैं। वहीं, अकाल और अज्ञात पितरों का श्राद्ध चतुर्थी पर किया जाता है, जबकि पंचमी तिथि पर अविवाहित पितरों का श्राद्ध करना शुभ होता है।


यदि आप अन्य तिथियों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो उसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।