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पितृपक्ष में चींटी को आटा डालने के लाभ और विधि

पितृपक्ष का महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि पितृपक्ष में चींटी को आटा डालने का क्या महत्व है और इसे कैसे करना चाहिए। यह धार्मिक परंपरा न केवल पितरों को प्रसन्न करती है, बल्कि घर में सुख और समृद्धि भी लाती है। जानें इस उपाय के लाभ और विधि के बारे में।
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पितृपक्ष में चींटी को आटा डालने के लाभ और विधि

पितृपक्ष का महत्व

सनातन धर्म में पितृपक्ष का महीना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि में पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध, दान और स्नान का विशेष महत्व है। यह श्राद्ध कर्म 15 दिनों तक चलते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। साल में एक बार आने वाले इस समय में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और दान करते हैं। पितृपक्ष के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए तर्पण और श्राद्ध का आयोजन किया जाता है। इस समय कई उपाय भी किए जाते हैं ताकि पितरों का आशीर्वाद बना रहे।


चींटी को आटा डालने की धार्मिक मान्यता

- मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर जीव-जंतु के रूप में धरती पर आते हैं। इसलिए चींटियों को आटा खिलाना शुभ माना जाता है और इससे पितर प्रसन्न होते हैं।


- धार्मिक दृष्टिकोण से, श्राद्ध के समय अन्न दान को सर्वोत्तम माना गया है। चींटियां सूक्ष्म जीव हैं, इसलिए इन्हें आटा खिलाना एक प्रकार का अन्नदान है।


- इसके अतिरिक्त, चींटियों को आटा देने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।


- चींटी को आटा खिलाने से घर में शांति, संतोष और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।


पितृपक्ष में चींटी को आटा डालने की विधि

- जब आप श्राद्ध का भोजन बना रहे हों, तो थोड़ा सा आटा अलग रख लें।


- आटे को आंगन, दीवार की किनारी या खुले स्थान पर चींटियों के लिए रख सकते हैं।


- यह कार्य श्रद्धा और शुद्ध भाव से करना चाहिए।


- पितृपक्ष के दौरान आप रोजाना चींटियों को आटा डाल सकते हैं।


- हिंदू धर्म में दान-पुण्य को हमेशा श्रेष्ठ माना गया है। पितृपक्ष में चींटी को आटा डालना केवल परंपरा नहीं, बल्कि करुणा और श्रद्धा का प्रतीक है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार में उनकी कृपा बनी रहती है।