पितृपक्ष में पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

पितृपक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दिनों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस समय लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कई उपाय किए जाते हैं। पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होती है और यह आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। यह 15 दिन विशेष माने जाते हैं, जब लोग श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करते हैं। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। पितृ दोष से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना
सर्वपितृ अमावस्या के दिन यह उपाय अवश्य करें। हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पितरों और देवताओं का निवास माना जाता है। इस दिन शाम को सूर्योस्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष समाप्त होता है। इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
मुख्य द्वार पर चौमुखा दीया जलाना
अपने घर के मुख्य द्वार पर चौमुखा दीपक जलाएं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन मुख्य द्वार पर घी का चौमुखा दीपक जलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसे चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाने वाला दीपक माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कौवे और गाय को भोजन देना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कौवे को पितरों का संदेशवाहक माना जाता है। इस दिन सुबह कौओं को भोजन और जल अर्पित करने से पितृदोष दूर होता है। इसके साथ ही गाय को गुड़ और रोटी खिलाने से घर के सभी वास्तु और पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाना
यमराज और पितरों की दिशा दक्षिण मानी जाती है। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन शाम को घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके साथ पूर्वजों की शांति के लिए प्रार्थना करें, इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
घर का ईशान कोण साफ करना
इस दिन घर के ईशान कोण को अवश्य साफ करें। इसे ईश्वर का स्थान माना जाता है। अगले दिन शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, इसलिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन उत्तर-पूर्वी दिशा को साफ करना आवश्यक है। इससे वास्तु दोष समाप्त होता है और पूर्वज प्रसन्न रहते हैं, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।