पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा का समापन: रथों का क्या होता है?

जगन्नाथ रथयात्रा 2025 का समापन
Rath Yatra 2025: पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा का भव्य समापन हुआ। 8 जुलाई को नीलाद्री बिजे के साथ रसगुल्ला दिवस भी मनाया गया। इस दिन देवी लक्ष्मी को भगवान जगन्नाथ द्वारा रसगुल्लों का भोग अर्पित किया जाता है, ताकि वे उन्हें अपने घर में प्रवेश करने की अनुमति दें। रसगुल्ले मां के प्रिय व्यंजनों में से एक माने जाते हैं, जिसके बाद देवी लक्ष्मी प्रभु को श्रीमंदिर में आने देती हैं। रात 10 बजे तक नीलाद्री बिजे का आयोजन होता है, जिसमें ओडिशा का लोक संगीत और ध्वनियों के बीच तीनों दारू मूर्तियों को मंदिर में ले जाया जाता है। रथयात्रा के लिए हर साल नए रथ बनाए जाते हैं, जिनमें लाखों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन उत्सव समाप्त होने के बाद इन रथों का क्या होता है? क्या इन रथों की लकड़ियों का अगले साल उपयोग किया जाता है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या रथों की लकड़ी दोबारा इस्तेमाल होती है?
नहीं, रथों की लकड़ियों का अगले साल नए रथों के निर्माण में उपयोग नहीं किया जाता है। दरअसल, पुरानी लकड़ियों का उपयोग अशुभ और अशुद्ध माना जाता है। इन लकड़ियों को विधिवत नीलामी कर बेचा जाता है या फिर धार्मिक कार्यों और मंदिर की रसोई में उपयोग किया जाता है।
रथों को क्या होता है?
इन रथों को खंडित किया जाता है, जिसके लिए विश्वकर्मा समुदाय के लोगों की सहायता ली जाती है। यह समुदाय रथों का निर्माण भी करता है। रथयात्रा के बाद देवताओं को उनके गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। रथ पर विजय पताका लगाई जाती है। इसके बाद रथ के स्वरूप में तीन कलश मंदिर में रखे जाते हैं, ताकि भक्त दर्शन कर सकें। रथ यात्रा समाप्त होने के 1-2 दिन बाद रथ को खंडित करने का कार्य किया जाता है, जिसके लिए विशेष पूजा की जाती है। रथ के पहिए, भुजाएं और सजावटी भाग को अलग कर दिया जाता है। इन्हें सुरक्षित रखा जाता है और रथ की बाकी लकड़ियों का उपयोग मंदिर की रसोई में खाना पकाने और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
पहियों की नीलामी होती है!
जी हां, रथयात्रा के कुछ दिनों बाद पहियों और भुजाओं जैसे हिस्सों की नीलामी की जाती है। इस नीलामी में शहर के प्रतिष्ठित लोग, भक्त और बड़े सरकारी अधिकारी भाग लेते हैं। नीलामी मंदिर के बाहर प्रांगण में होती है, और अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी उपलब्ध है। तीनों रथों की कीमत लाखों में होती है, और भगवान जगन्नाथ के रथ के निर्माण में लगने वाली लकड़ियों की कीमत ही 60 लाख रुपये होती है। इसके अलावा, रथ निर्माण में 200 से अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
मंदिर प्रशासन कैसे करवाता है नीलामी?
पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) नीलामी प्रक्रिया की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देता है। इच्छुक लोग और संस्थाएं आवेदन करते हैं, और फिर नीलामी प्रक्रिया संपन्न होती है। सही बोली लगने पर रथ के उस हिस्से को आवेदनकर्ता को सौंपा जाता है। उनसे लिया गया भुगतान पवित्र स्मृति के रूप में प्राप्त किया जाता है। रथ के पुर्जे केवल धार्मिक कार्यों के लिए बेचे जाते हैं। नीलामी रथयात्रा के 1 से 2 हफ्तों के भीतर की जाती है।