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पूजा के लिए सही दिशा का चयन: जानें किन दिशाओं से बचें

पूजा के दौरान सही दिशा का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि सही दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जबकि गलत दिशा में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिशा में पूजा करने से क्या नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, सही दिशाओं जैसे उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशा में पूजा करने के लाभ भी बताए गए हैं।
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पूजा के लिए सही दिशा का चयन: जानें किन दिशाओं से बचें

पूजा के लिए दिशा का महत्व

Puja Tips: वैदिक शास्त्र और ज्योतिष में पूजा-पाठ के लिए दिशाओं का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि सही दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके विपरीत, गलत दिशा में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और पूजा का फल नहीं मिलता। वैदिक ग्रंथों जैसे वास्तु शास्त्र, अग्नि पुराण और स्कंद पुराण में पूजा के लिए उचित और अनुचित दिशाओं का उल्लेख किया गया है।


दिशाओं का संबंध और पूजा का प्रभाव

वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर दिशा का संबंध किसी न किसी देवता और ऊर्जा से होता है। सही दिशा में पूजा करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। वहीं, कुछ दिशाएं पूजा के लिए वर्जित मानी जाती हैं, क्योंकि इनमें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। अग्नि पुराण और वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि पूजा के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण), पूर्व और उत्तर दिशा सर्वोत्तम मानी जाती हैं। आइए जानते हैं किन दिशाओं में मुंह करके पूजा करने से बचना चाहिए।


दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा


दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। स्कंद और वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में मुंह करके पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है और पूजा का फल नहीं मिलता। यमराज मृत्यु और अंत के देवता हैं, इसलिए इस दिशा में पूजा करने से जीवन में बाधाएं और मानसिक अशांति बढ़ सकती है। यदि पूजा कक्ष दक्षिण दिशा में है, तो पूजा करते समय मुंह को पूर्व या उत्तर की ओर रखें।


पश्चिम दिशा

पश्चिम दिशा


पश्चिम दिशा के स्वामी वरुण देवता हैं, जो जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में मुंह करके पूजा करना अनुचित है, क्योंकि यह दिशा सूर्यास्त और अंधकार की होती है। अग्नि पुराण के अनुसार, पश्चिम दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुकता है। इस दिशा में पूजा करने से कार्यों में बाधाएं, आत्मविश्वास की कमी और आध्यात्मिक प्रगति में रुकावट आ सकती है। पूजा के लिए हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा का चयन करें।


दक्षिण-पश्चिम दिशा

दक्षिण-पश्चिम दिशा


दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है, जिसका संबंध राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों से माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में मुंह करके पूजा करने से पूजा का प्रभाव कम होता है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इस दिशा में पूजा करने से परिवार में अशांति, आर्थिक नुकसान, और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


दक्षिण-पूर्व दिशा

दक्षिण-पूर्व दिशा


दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि कोण कहा जाता है। यह दिशा अग्नि तत्व और अग्नि देवता से संबंधित है। यह दिशा रसोई और ऊर्जा कार्यों के लिए उपयुक्त है, लेकिन पूजा के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इस दिशा में मुंह करके पूजा करने से मानसिक तनाव और क्रोध बढ़ सकता है।


सही दिशाओं में पूजा

इन दिशाओं में मुख करके करें पूजन


उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण भगवान विष्णु और शिव से संबंधित है। इस दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है। वहीं, पूर्व दिशा सूर्य देव की होने के कारण यह दिशा ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करती है। उत्तर दिशा कुबेर और लक्ष्मी जी की दिशा होने के कारण यह धन और समृद्धि के लिए उपयुक्त है।


सूचना

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।