पूर्णागिरि धाम: श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल

पूर्णागिरि धाम का महत्व
पूर्णागिरि धाम। उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में स्थित मां पूर्णागिरि का मंदिर समुद्र तल से 5500 फीट की ऊंचाई पर अन्नपूर्णा पर्वत पर स्थित है। यह उत्तर भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती के नाभि स्वरूप के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि माता सती की नाभि इसी स्थान पर गिरी थी।
इसी कारण इसे पूर्णागिरि कहा जाता है। मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है, जबकि उसके नीचे शारदा नदी की कलकल ध्वनि सुनाई देती है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है, मानो मां ने प्रकृति की सारी खूबसूरती को बिखेर रखा हो। सभी भक्त अपनी इच्छाओं को मां के समक्ष रखते हैं और चुनरी से गांठ लगाते हैं, यह विश्वास करते हुए कि मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी।
मंदिर समिति के अध्यक्ष किशन तिवारी ने बताया कि भक्तगण सालभर यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन मुख्य मेला चैत और कुंवार के नवरात्रि में होता है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं। यहां माता काली, भैरव बाबा, झूठा मंदिर और बालाजी हनुमान के दर्शन भी होते हैं। पूर्णागिरि मंदिर समिति यात्रियों की सुविधा के लिए सफाई और अन्य व्यवस्थाएं करती है। प्रशासन द्वारा बिजली, पानी, सड़क और सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है, ताकि यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव हो सके।
नवरात्रि के दौरान क्षेत्र में अखंड ज्योति का दर्शन भी किया जाता है और शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जाता है। मंदिर समिति के अन्य पदाधिकारी जैसे नीरज पांडे (उपाध्यक्ष), सुरेश चंद तिवारी (सचिव), और नवीन तिवारी (कोषाध्यक्ष) यात्रियों को सभी सुविधाएं प्रदान करने में मदद करते हैं, जिससे यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाया जा सके।