पौष पुत्रदा एकादशी: जानें सही तिथि और विशेष उपाय
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
पौष पुत्रदा एकादशी : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी आती है, जिनका अलग-अलग धार्मिक महत्व होता है। पौष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, जिसे विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
साल 2025 का अंत और नए साल 2026 की शुरुआत इस पवित्र व्रत के साथ हो रही है। इस बार पौष पुत्रदा एकादशी को लेकर भक्तों में यह भ्रम है कि व्रत 30 दिसंबर को रखा जाए या 31 दिसंबर को। इसके साथ ही, पारण के शुभ समय को लेकर भी भक्त जानकारी चाहते हैं। आइए जानते हैं इस बार की पुत्रदा एकादशी की सही तिथि, पारण समय और पूजा के उपाय।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की तिथि
दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 51 मिनट से आरंभ होगी और 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे समाप्त होगी। अर्थात, यह व्रत दो दिनों में पड़ रहा है।
परंपरा के अनुसार, गृहस्थ लोग 30 दिसंबर को व्रत करना उचित मानते हैं, जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग इसे 31 दिसंबर को रखेंगे। इस प्रकार, भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इन दोनों दिनों में से किसी एक दिन व्रत रख सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी का पारण समय
जो भक्त 30 दिसंबर को व्रत करेंगे, वे इसका पारण 31 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक कर सकते हैं। वहीं, जो भक्त 31 दिसंबर को व्रत रखेंगे, उनका पारण 1 जनवरी 2026 को सुबह 7 बजकर 14 मिनट से लेकर 9 बजकर 18 मिनट तक किया जा सकता है।
पुत्रदा एकादशी के विशेष उपाय
नए साल की शुरुआत पुत्रदा एकादशी के साथ होने से यह दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इस दिन निम्नलिखित उपाय करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है:
- प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु के सहस्रनाम का पाठ करें।
- पीले रंग की वस्तुओं का दान करना लाभकारी होता है।
- दीपदान करने से घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
भक्तों का मानना है कि पुत्रदा एकादशी के व्रत और उपाय संतान सुख के साथ-साथ घर में खुशहाली और मानसिक शांति भी लाते हैं।
