पौष पूर्णिमा पर शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य वस्तुएं और पूजा विधि
पौष पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। पौष महीने की पूर्णिमा 3 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और धरती पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में शिव जी की आराधना का भी विशेष महत्व बताया गया है। भगवान शिव और श्री हरि एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, इसलिए इस दिन शिवलिंग पर कुछ विशेष चीजें अर्पित करने से दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य वस्तुएं
कच्चा दूध और गंगाजल: पौष पूर्णिमा पर शिवलिंग पर कच्चे दूध का अभिषेक करना फलदायी माना जाता है। इससे चंद्र दोष का प्रभाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। दूध को सात्विक तत्व का प्रतीक माना गया है, जिससे भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
शहद: इस दिन शिवलिंग पर शहद चढ़ाने का विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति की वाणी में मिठास आती है और घर में चल रहे तनाव कम होते हैं। यह उपाय सौभाग्य में वृद्धि करता है।
गाय का शुद्ध घी: भगवान शिव पर घी से अभिषेक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। यह भगवान विष्णु को प्रिय है, जिससे देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
सफेद चंदन: पूर्णिमा के दिन महादेव को सफेद चंदन का तिलक करना शुभ माना जाता है। यह मानसिक शांति का प्रतीक है।
अक्षत: साबुत चावल अर्पित करने से धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
पूजा मंत्र
- ॐ नमः शिवाय।।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
- शान्तं पद्मासनस्थं शशधरमुकुटं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं।
- शिव पूजा में बिल्व पत्र का प्रयोग करें।
- अर्पित सामग्री पवित्र होनी चाहिए।
- पूजा के बाद किसी गरीब को सफेद वस्तु का दान करें।
