प्रदोष व्रत 2025: धार्मिक कार्यों का महत्व और शुभ समय

प्रदोष व्रत का महत्व
8 जून 2025 को रवि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर है। इस दिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शंकर की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि और धार्मिक क्रियाएँ
शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें और दीप प्रज्वलित करें। यह दिन रुद्राभिषेक के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, शिवपुराण का पाठ करने से मन को शांति और आत्मिक बल मिलता है। ज्येष्ठ माह में जल से भरा घड़ा और फलों का दान करना अत्यंत फलदायी होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी
इस दिन प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। मंदिर परिसर में पीपल, बेल, आम, गूलर या पाकड़ जैसे पवित्र वृक्षों का रोपण करें। यह कार्य न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि पापों के नाश में भी सहायक है। घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गायों की सेवा और हनुमान जी की कृपा
गौशाला में जाकर गायों को रोटी, गुड़, चारा या पालक खिलाएं। यह कार्य अखंड पुण्य का स्रोत है और जीवन में सौभाग्य को आकर्षित करता है। हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की तीन परिक्रमाएं करें और उनकी कृपा प्राप्त करें.
सात्विक भोजन और ध्यान
प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त के बाद एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करें। मन को शुद्ध और सकारात्मक रखें, क्योंकि यह दिन आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष है।
शुभ मुहूर्त और पंचांग
रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 7:18 बजे से रात 9:19 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि 8 जून को सुबह 7:17 बजे शुरू होगी और 9 जून को सुबह 9:35 बजे समाप्त होगी। इस समय में पूजा और धार्मिक कार्य करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्योदय सुबह 5:23 बजे और सूर्यास्त शाम 7:17 बजे होगा। नक्षत्र स्वाती दोपहर 12:43 बजे तक रहेगा, इसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू होगा। चंद्र राशि तुला होगी, जिसका स्वामी ग्रह शुक्र है, और सूर्य राशि वृष होगी.
महत्वपूर्ण समय और यात्रा
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:52 से 12:48 तक रहेगा, जो महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ है। राहुकाल शाम 4:00 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य या यात्रा शुरू करने से बचें। पश्चिम दिशा में यात्रा से बचें, और यदि यात्रा आवश्यक हो, तो एक दिन पहले प्रस्थान की तैयारी करें.
धार्मिक और पर्यावरणीय कार्य
यह दिन धार्मिक और पर्यावरणीय कार्यों के लिए विशेष है। छोटे-छोटे कार्य जैसे पक्षियों को दाना देना, गायों की सेवा करना, और वृक्षारोपण करना न केवल पुण्यदायी है, बल्कि समाज और प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। इस प्रदोष व्रत को पूरे मन और श्रद्धा के साथ करें, और भगवान शिव की कृपा से अपने जीवन को सुखमय बनाएं.