प्रदोष व्रत: आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए विशेष पूजा विधि
आज कार्तिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत है, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान महादेव की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। जानें इस विशेष दिन पर पूजा विधि और मंत्रों के बारे में, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
| Nov 3, 2025, 11:20 IST
शाम को महादेव और मां पार्वती की पूजा
प्रदोष व्रत का महत्व
आज कार्तिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है, जो सोमवार को पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहलाता है। यह दिन भगवान महादेव को समर्पित है, और इस दिन का विशेष महत्व है।
इस दिन व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पूजा के दौरान भगवान शिव का अभिषेक करते हुए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र और श्री लिङ्गाष्टकम् का पाठ करना चाहिए।
महादेव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक
सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि देवों के देव महादेव जलाभिषेक और रुद्राभिषेक से जल्दी प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष भी भगवान शिव की पूजा के समय जलाभिषेक करने की सलाह देते हैं। महादेव की कृपा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वे शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्त होते हैं।
श्री लिङ्गाष्टकम्
- ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम्।
जन्मजदु:खविनाशकलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥ - देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम्करुणाकर लिङ्गम्।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गंबुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - कनकमहामणिभूषितलिङ्गंफणिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम्।
दक्षसुयज्ञविनाशन लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गंपङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - देवगणार्चित सेवितलिङ्गंभावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गंसर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।
अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गंसुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम्।
परात्परं परमात्मक लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥ - लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं य:पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोतिशिवेन सह मोदते॥
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र
- विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कणार्मृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदु:खदहनाय नम: शिवाय॥ - वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्र्यदनाशनम्।
- सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्॥
