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प्रदोष व्रत: जानें शनि प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा विधि

4 और 18 अक्टूबर को शनि प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा। जानें इन व्रतों की तिथि, पूजा विधि और महत्व। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इन व्रतों के दौरान विशेष उपाय किए जा सकते हैं और किस प्रकार भगवान शिव और शनि महाराज की पूजा करनी चाहिए। प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और इसके साथ जुड़ी विशेष तिथियों की जानकारी प्राप्त करें।
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प्रदोष व्रत: जानें शनि प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा विधि

जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


प्रदोष व्रत, नई दिल्ली: आज 4 अक्टूबर को प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा। चूंकि यह व्रत शनिवार को है, इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। अक्टूबर में एक और प्रदोष व्रत भी होगा, जिससे यह महीना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनता है। इस महीने में कुल दो प्रदोष व्रत होंगे: पहला 4 अक्टूबर को और दूसरा 19 अक्टूबर को। आइए जानते हैं अक्टूबर के प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त और महत्व।


अक्टूबर का पहला प्रदोष व्रत

अक्टूबर में पहला प्रदोष व्रत 4 अक्टूबर, शनिवार को है। पंचांग के अनुसार, शाम 5:10 बजे त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी। यह व्रत शुक्ल पक्ष में मनाया जाएगा।


इस दिन भगवान शिव और शनि महाराज की पूजा की जानी चाहिए। इसके साथ ही, शाम को पीपल को जल देना और दीप दिखाना भी आवश्यक है। त्रयोदशी तिथि 5 अक्टूबर को शाम 3:04 बजे तक रहेगी। 4 अक्टूबर को पूजा का समय शाम 6:10 बजे से 7:45 बजे तक रहेगा।


अक्टूबर का दूसरा प्रदोष व्रत है सबसे खास

अक्टूबर में दूसरा प्रदोष व्रत 18 अक्टूबर को होगा, जो भी शनिवार को है। यह व्रत कृष्ण पक्ष में मनाया जाएगा। यह प्रदोष व्रत विशेष है क्योंकि इस दिन धनत्रयोदशी का भी संयोग है।


इस दिन त्रयोदशी तिथि दिन में 12:20 बजे प्रारंभ होगी और 19 अक्टूबर को शाम 5:50 बजे तक रहेगी। धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम 5:50 बजे से 7:40 बजे तक रहेगा।


शनि प्रदोष व्रत में शनि शांति के उपाय


  • शनि प्रदोष व्रत के दिन, 4 और 18 अक्टूबर को शनि दोष की शांति के लिए कुछ उपाय अवश्य करें।

  • महामृत्युंजय मंत्र के साथ भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें।

  • पीपल को जल दें और काले तिल अर्पित करें। एक तिल का दीपक पीपल को दिखाएं। शाम को एक दीप घर की छत पर या बाहर रखें।

  • भगवान शिव की पूजा करें और शिव चालीसा का पाठ करें, साथ ही शनि स्तोत्र का पाठ भी करें।

  • किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र का दान करें।

  • मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। एक कागज पर 108 श्रीराम नाम लिखकर इसे आटे में गूंथ लें और गोलियां मछलियों को दें।

  • हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।