प्रदोष व्रत: नटराज स्तुति का पाठ और महादेव की कृपा

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत से पापों का नाश
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है। यह व्रत हर महीने दो बार किया जाता है और इसका उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना है। पुराणों में प्रदोष व्रत का महत्व बताया गया है, जिससे साधक के जाने-अनजाने में किए गए पाप समाप्त हो सकते हैं।
नटराज स्तुति का पाठ
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के दौरान नटराज स्तुति का पाठ करना लाभकारी होता है। इससे महादेव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
नटराज स्तुति
सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नम:।
हे आद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नम:॥
गंभीर नाद मृदंगना
धबके उरे ब्रह्माडना।
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नम:॥
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा
चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां।
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नम:॥
तवशक्ति वामांगे स्थिता
हे चंद्रिका अपराजिता।
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमो:॥
पूजा विधि
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन पूजा का मुहूर्त शाम 6:21 बजे से रात 8:43 बजे तक रहेगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, शहद, घी और जल अर्पित करें। पूजा के दौरान "ॐ नम: शिवाय" मंत्र का जप करना न भूलें। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।