प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण समारोह में भाग लिया
अयोध्या में ध्वजारोहण का ऐतिहासिक अवसर
अयोध्या में मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त के दौरान राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा का औपचारिक ध्वजारोहण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक पल से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि अयोध्या के पावन धाम में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण समारोह का हिस्सा बनना मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात है। शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ यह अनुष्ठान हमारे सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता के नए अध्याय का उद्घोष है।
पीएम मोदी ने कहा कि राम मंदिर का गौरवशाली ध्वज, विकसित भारत के नवजागरण का प्रतीक है। यह ध्वज नीति और न्याय का प्रतीक हो, सुशासन से समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करे और विकसित भारत की ऊर्जा बनकर सदा आरोहित रहे, यही भगवान श्री राम से कामना है। जय जय सियाराम।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला मंदिर के ध्वजारोहण से पहले सप्तमंदिर का दौरा किया। यहां उन्होंने महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी से जुड़े मंदिर में पूजा-अर्चना की।
पीएम मोदी ने सप्तमंदिर में पूजा की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि आज अयोध्या में रामलला मंदिर के ध्वजारोहण अनुष्ठान से पूर्व मंदिर परिसर में सप्त मंदिरों के दर्शन कर आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला। महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज एवं माता शबरी के सप्त मंदिरों से वह बोध एवं भक्ति प्राप्त होती है, जो हमें प्रभु राम के चरणों के योग्य बनाती है।
पीएम मोदी ने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि सप्त मंदिरों के सभी सात ऋषियों एवं महा भागवतों की उपस्थिति से ही रामचरित पूर्ण होता है। महर्षि वशिष्ठ एवं महर्षि विश्वामित्र ने प्रभु रामलला के विद्याध्ययन की लीला पूरी कराई। महर्षि अगस्त्य से वन गमन के समय ज्ञान चर्चाएं हुईं एवं राक्षसी आतंक के विनाश का मार्ग प्रशस्त हुआ।
आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने अलौकिक रामायण विश्व को प्रदान की। देवी अहिल्या, निषादराज एवं माता शबरी ने महान भक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया और हम प्रभु राम के उस समरस आदर्श से परिचित हो पाए, जिसमें उन्होंने खुद कहा है-कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउं एक भगति कर नाता॥
