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बकरीद 2023: जानें कब मनाया जाएगा यह महत्वपूर्ण त्योहार

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व कुर्बानी और अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस वर्ष बकरीद 7 जून को मनाई जाएगी, जबकि जिल हिज्जा की पहली तारीख 29 मई है। जानें इस पर्व का महत्व और इसके पीछे की ऐतिहासिक कहानी।
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बकरीद 2023: जानें कब मनाया जाएगा यह महत्वपूर्ण त्योहार

बकरीद का महत्व और तिथि

नई दिल्ली। इस्लाम धर्म में बकरीद का विशेष स्थान है, जिसे मुस्लिम समुदाय बड़े उत्साह के साथ मनाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद जिल-हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। यह पर्व केवल कुर्बानी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह अल्लाह के प्रति समर्पण, त्याग और मानवता का भी प्रतीक है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष बकरीद का त्योहार भारत में कब मनाया जाएगा।


जुल हिज्जा की पहली तारीख

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद जिल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। इस बार सऊदी अरब में बकरीद 27 मई, मंगलवार को मगरीब की नमाज के बाद मनाई गई। नमाज के बाद जुल-हिज्जा का चांद देखा गया, जिसके बाद वहां 6 जून को बकरीद मनाने की आधिकारिक घोषणा की गई। सऊदी अरब में बकरीद की तारीख तय होने के बाद, 28 मई की शाम को भारत में भी चांद नजर आया। चांद दिखने के बाद यह तय हो गया कि 29 मई, आज, इस्लामिक कैलेंडर के अंतिम महीने ‘जिल हिज्जा’ की पहली तारीख है।


बकरीद मनाने का कारण

भारत में जिल-हिज्जा की शुरुआत 29 मई से हो गई है। जिल हिज्जा की 10वीं तारीख, 7 जून, शनिवार को बकरीद का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व की शुरुआत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना से जुड़ी है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की आस्था की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उन्होंने हजरत इब्राहिम से अपनी सबसे प्रिय चीज कुर्बान करने को कहा। हजरत इब्राहिम के लिए उनका बेटा हजरत इस्माइल सबसे प्रिय थे। अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए, उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे के गले पर छुरी चलाई, तो अल्लाह ने एक चमत्कार किया। हजरत इस्माइल की जगह एक जानवर कुर्बान हो गया। इसी घटना की याद में बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है।