बकरीद: कुर्बानी की ईद का महत्व और तिथि

बकरीद का परिचय
बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा या कुर्बानी की ईद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व हज यात्रा के समापन पर मनाया जाता है, जो इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। बकरीद हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म वह है जिसमें त्याग, सच्चाई और मानवता की भावना हो। इस दिन मुसलमान कुर्बानी देकर एक ऐतिहासिक घटना को याद करते हैं, जब पैगंबर ने अल्लाह की आज्ञा पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे।
बकरीद 2025
बकरीद का पर्व इस्लामी कैलेंडर की चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है, इसलिए इसकी तिथियां हर वर्ष बदलती हैं। इस वर्ष, भारत में बकरीद 07 जून 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन इस्लामी महीने जिल-हिज्जा की 10वीं तारीख को आता है और इसे हज का अंतिम और सबसे पुण्य दिन माना जाता है।
इतिहास
बकरीद का मूल भाव पैगंबर इब्राहिम की उस परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें अल्लाह के आदेश पर उन्होंने अपने प्रिय पुत्र इस्माईल की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक रात पैगंबर इब्राहिम को सपना आया, जिसमें उनसे अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए कहा गया।
पैगंबर ने इसे अल्लाह की आज्ञा मानकर पालन किया और बेटे की कुर्बानी के लिए निकल पड़े। जब वह अपने बेटे की आंखों पर पट्टी बांधकर बलिदान देने लगे, तब अल्लाह ने उनकी परीक्षा को सफल मानते हुए इस्माइल को बचा लिया और उसकी जगह एक मेंढ़ा भेज दिया। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि सच्चे दिल से किया गया समर्पण और भक्ति अल्लाह अवश्य स्वीकार करता है।
महत्व
बकरीद का पर्व केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह सच्चे इरादे, आत्मत्याग और मानवता की शिक्षा देने वाला पर्व है। यह हमें याद दिलाता है कि अल्लाह पर विश्वास रखते हुए दूसरों की सहायता करना और अपने स्वार्थ को त्यागना ही असली धर्म है।