Newzfatafatlogo

बनैलिया माता मंदिर: भारत-नेपाल सीमा पर आस्था का केंद्र

बनैलिया माता मंदिर, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। मंदिर का इतिहास एक अद्भुत कहानी है, जिसमें देवी की प्रेरणा और पांडवों से जुड़ी मान्यताएं शामिल हैं। जानें इस मंदिर की स्थापना, पुजारियों की परंपरा और वार्षिक उत्सव के बारे में।
 | 
बनैलिया माता मंदिर: भारत-नेपाल सीमा पर आस्था का केंद्र

बनैलिया माता मंदिर की महत्ता

भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित नौतनवां कस्बे में बनैलिया माता मंदिर, न केवल भारतीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि नेपाल के भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। विशेषकर नवरात्रि के दौरान, यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। नेपाल से आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर में दर्शन के लिए रुकते हैं। मान्यता है कि भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मंदिर में हाथी चढ़ाते हैं।


मंदिर का इतिहास

मंदिर के प्रबंधक ऋषि राम थापा के अनुसार, जहां आज यह भव्य मंदिर स्थित है, वहां पहले घना जंगल और थारू समाज की भूमि थी। एक दिन, खेती करने वाले किसान केदारनाथ मिश्र को देवी ने स्वप्न में बताया कि ‘जहां तुम खेती कर रहे हो, वहीं मेरा निवास है। उस स्थान पर मंदिर बनवाओ, मैं सभी का कल्याण करूंगी।’ इसके बाद, गांव वालों के सहयोग से 1888 में एक छोटा सा मंदिर स्थापित किया गया। प्रारंभ में इसे वनदेवी दुर्गा मंदिर कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे बनैलिया माता मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।


पुजारियों की परंपरा

मंदिर की पूजा और सेवा का कार्य विभिन्न पुजारियों द्वारा समय-समय पर किया गया है।

रामप्यारे दास (1938–1946)

रामप्रीत दास (1946–1959)

कमलनाथ (1959–1973)

महातम यादव (1973–1996)

काशी दास (1996–2005) – इनके कार्यकाल में पुराने मंदिर के स्थान पर नए मंदिर और प्रतिमा का निर्माण हुआ।


स्थापना दिवस और उत्सव

20 जनवरी 1951 को नई प्रतिमा की स्थापना की गई, और तभी से हर वर्ष इस तिथि को मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोग उत्सव में भाग लेते हैं।


पांडवों से जुड़ी मान्यता

मंदिर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान नेपाल के विराट नगर की ओर जाते समय यहां रात बिताई थी। पुजारी आचार्य एम. लाल के अनुसार, ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस मंदिर का विशेष महत्व है।

बनैलिया माता मंदिर: भारत-नेपाल सीमा पर आस्था का केंद्र