बुध चालीसा: बुध ग्रह की कृपा पाने का सरल उपाय
बुध चालीसा: बुध ग्रह का महत्व
बुध चालीसा: ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि का स्वामी माना जाता है। यदि आपकी कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत है, तो आप तेज, चतुर, और संवाद में कुशल होते हैं। लेकिन यदि बुध कमजोर हो, तो आपको बोलने में कठिनाई, याददाश्त में कमी, और पढ़ाई या व्यवसाय में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि इसके लिए महंगे रत्न या यंत्र की आवश्यकता नहीं है। बस हर बुधवार या नियमित रूप से "बुध चालीसा" का पाठ करें, जिससे बुध देव आपकी बुद्धि को प्रखर बना देंगे!
बुध चालीसा का पाठ
मान्यता है कि बुध चालीसा का पाठ करने से बुध ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। आइए, आज ही इसे शुरू करते हैं – पूरी बुध चालीसा हिंदी में:
श्री बुध चालीसा
॥ दोहा ॥
नमो नमो जय श्री बुध राजा ।
करहुं कृपा मोहि जानि कायर अधम का ॥
करहुं कृपा कृपानिधि बुध सदा सहाय ।
रोग दोष दुख हरो अनाथ के नाथ ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति बुध देव दयाला ।
सदा करत जो सुकृत प्रतिपाला ॥
जटा मुकुट सिर शोभित भारी ।
त्रिपुण्ड चंदन रेखा प्यारी ॥
गरल कनठ सर्प जग माला ।
नाग कंकन कर मंडित भाला ॥
ब्रह्म रूप वर शुभ्र सरीरा ।
करत सदा जन कल्याण अधीरा ॥
श्वेत कमल आसन मन भावा ।
संत करत सदा मंगल ध्यावा ॥
कुंजल बिराजत छवि नयनी ।
अति मनोहर मंगल गुन खानी ॥
काटत पातक पंक भरारा ।
बुध ग्रह दुष्ट नरक सँसारा ॥
सुख सृखावत सब फल साता ।
रोग दोष संकट हरण विधाता ॥
बुध की महिमा अपरंपारा ।
किया जानि मनुज दुख निवारा ॥
लाख के वचन धरत दर साता ।
रोग हरण बुध दया विहाता ॥
ग्रह अनिष्ट जो नर पर छाए ।
रोग दोष भय मिटै नहिं जाऐ ॥
तिन्ह पर बुद्ध अनुग्रह होई ।
काटि दै सब संकट मोहे ॥
जनम जनम के पातक भारी ।
काटि दै सब बुध मति तारी ॥
सुर नर मुनि नित्य गुण गावे ।
यश गावत बुध सुख पावे ॥
रोग दोष संकट सब हारी ।
धरहुं धीर बुध हरहु पाप भारी ॥
नित नव मंगल करत सवारी ।
रोग दोष बुध हरहु भारी ॥
अधम कायर मतिहीन हमारा ।
करहुं कृपा बुध हरो दुख सारा ॥
सुख संपत्ति दै करहुं उपाई ।
जन मन रंजन मंगल लाई ॥
बुध सुधी सील रूप सुहावा ।
संत ध्यावत मंगल भावा ॥
विनय करौं बुध देव तुम्हारी ।
संकट हरो हे पातक भारी ॥
अधम कायर सुबुद्धि सुधारा ।
करहुं कृपा हरो दुख सारा ॥
महा संकट में तिन्हें उबारो ।
अधम कायर सुबुद्धि सुधारो ॥
हरहुं पाप बुध महा विधाता ।
सुर नर मुनि सदा शुभ गाता ॥
बुध की महिमा अपार पावे ।
अधम कायर सब संकट हरे ॥
जयति जयति बुध देव सहाय ।
कृपा करहुं हरहुं सब भय ॥
॥ दोहा ॥
नमो नमो जय बुध सुख कारी ।
दुख दारिद्र्य मिटाओ भारी ॥
यह चालीसा बुध ग्रह का पाठ ।
करहुं कृपा बुध हरो सब कष्ट ॥
॥ इति श्री बुध चालीसा संपूर्णम् ॥
यह पाठ बहुत सरल है! हर बुधवार को सुबह स्नान करके, हरे या हल्के हरे कपड़े पहनकर, बुध देव को हरी मूंग या हरा धागा चढ़ाएं और यह चालीसा पढ़ें। लगातार 40 दिनों तक करने से आपको खुद में बदलाव महसूस होगा – आपकी सोच तेज होगी, बोलने में आत्मविश्वास आएगा, और छोटी-छोटी समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।
