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ब्रह्मा जी की पौराणिक कथा: सृष्टि के रचयिता की अनोखी कहानी

इस लेख में हम ब्रह्मा जी की एक अनोखी पौराणिक कथा का वर्णन कर रहे हैं, जिसमें उनकी रचना और भगवान शिव के क्रोध का उल्लेख है। जानें क्यों ब्रह्मा जी की पूजा का प्रचलन अन्य देवताओं की तुलना में कम है और इस कथा का धार्मिक महत्व क्या है।
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ब्रह्मा जी की पौराणिक कथा: सृष्टि के रचयिता की अनोखी कहानी

ब्रह्मा जी से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म के ग्रंथों में कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं, जो न केवल ज्ञान देती हैं बल्कि हमें चौंकाती भी हैं। आज हम आपको सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी से संबंधित एक ऐसी कथा सुनाने जा रहे हैं। ब्रह्मा जी को त्रिदेवों में से एक माना जाता है, लेकिन उनकी पूजा का प्रचलन भगवान शिव और भगवान विष्णु के मुकाबले कम है। क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है? यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको ब्रह्मा जी से जुड़ी इस रोचक कथा के बारे में बताएंगे।




कथा का सार


कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना का कार्य सौंपा गया था। जब उन्होंने संसार की रचना की, तो उन्होंने एक अत्यंत सुंदर स्त्री का निर्माण किया, जिसका नाम शतरूपा रखा गया। शतरूपा की सुंदरता इतनी अद्भुत थी कि ब्रह्मा जी भी उस पर मोहित हो गए और उनकी नजरें उससे हट नहीं पाईं।




जब ब्रह्मा जी इस तरह से शतरूपा को देख रहे थे, तो वह शतरूपा के लिए असहज हो गई। उसने ब्रह्मा जी की नजरों से बचने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी।




भगवान शिव का क्रोध


इस दृश्य को भगवान शिव ने देखा और वह ब्रह्मा जी पर बहुत क्रोधित हुए। क्योंकि शतरूपा ब्रह्मा जी की पुत्री के समान थीं, इसलिए भगवान शिव को यह अत्यंत गलत लगा। उन्होंने अपने गण भगवान भैरव को भेजा, जिन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया।




इसके बाद ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी कारण से त्रिदेवों में होने के बावजूद ब्रह्मा जी की पूजा भगवान शिव और भगवान विष्णु की तरह नहीं की जाती। इस गलती के परिणामस्वरूप भारत में ब्रह्मा जी का केवल एक मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर में स्थित है।