भगवान कृष्ण के संदेश और जन्माष्टमी पर डा. दिनेश शर्मा का विचार

भगवान कृष्ण का महत्व और जन्माष्टमी का उत्सव
लखनऊ । राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सुदर्शन चक्रधारी भगवान कृष्ण आसुरी शक्तियों के नाश का प्रतीक हैं। वे श्याम, मुरली मनोहर, कन्हैया और द्वारिकाधीश के रूप में जाने जाते हैं। भगवान की लीलाएं अद्वितीय होती हैं। मथुरा में रहते हुए उनकी उंगलियां बांसुरी पर प्रेम और संगीत का संचार करती हैं, जबकि जब वे द्वारिका जाते हैं, तो वे द्वारकाधीश बन जाते हैं और सुदर्शन चक्र धारण कर लेते हैं।
जन्माष्टमी के इस अवसर पर खाटू धाम में आयोजित समारोह में सांसद ने कहा कि भगवान कृष्ण ने कंस को एक बार दंडित किया, लेकिन उन्होंने 99 गलतियों को भी माफ किया। बचपन में वृन्दावन में कालिया नाग का मान मर्दन करते हुए, उन्होंने इन्द्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया। सत्य के लिए पांडवों का साथ देने वाले भगवान श्याम सुन्दर ने गीता का उपदेश देकर जीवन को दिशा दी है। डा. शर्मा ने कहा कि जो व्यक्ति जिस देवता की आराधना करता है, उसके स्मरण से उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। भगवान खाटू श्याम भी भगवान कृष्ण के अंशावतार माने जाते हैं। कहा जाता है, 'हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा', जो हारता है, बाबा खाटू श्याम उसके साथ होते हैं। उन्होंने एक दृष्टांत देते हुए बताया कि भगवान ने उन्हें अपना अंश मानते हुए आशीर्वाद दिया था कि जो कोई भी उनकी स्तुति करेगा, उसके सभी कार्य पूर्ण होंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की और कहा कि योगी शासन के तहत पुलिस थानों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की परंपराएं पुनः शुरू की गई हैं, जो एक अच्छा उदाहरण है। इस कार्यक्रम में पूर्व जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह, श्याम परिवार के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल, मिंटू अग्रवाल, सुधीर गर्ग और कपिल शर्मा भी उपस्थित थे।