भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा: चंडीगढ़ में सहस्त्रधारा स्नान की तैयारी

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और स्नान की परंपरा
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन 27 जून को, कल से होगा एकांतवास: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का पर्व 27 जून को मनाया जाएगा। इस रथ यात्रा से पहले कई धार्मिक परंपराएं निभाई जाती हैं, जो ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से शुरू होती हैं। चंडीगढ़ में भी इसे श्रद्धा के साथ मनाने की तैयारी की जा रही है। भगवान जगन्नाथ मंदिर, सेक्टर-31 के उत्कल सांस्कृतिक संघ के कल्चरल सेक्रेटरी अनिल मलिक ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुदर्शन और सुभद्रा को 108 पात्रों में चंदन और कपूर मिश्रित जल से स्नान कराया जाएगा।
भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने का महत्व
पुरी के मंदिर में भगवान का स्नान 108 पीपल के घड़ों में जमा पानी से किया जाता है, जबकि चंडीगढ़ में भक्त मिट्टी के 108 घड़ों से भगवान को स्नान कराएंगे। इस स्नान को सहस्त्रधारा स्नान कहा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान को स्नान कराता है, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं, इसलिए इसे पुण्य का कार्य माना जाता है। स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाए जाएंगे और फलों तथा दूध का भोग अर्पित किया जाएगा। इसके बाद भक्तों के लिए भंडारा आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम सुबह 9 बजे से शुरू होगा।
27 जून को रथ यात्रा का आयोजन
अनिल मलिक ने बताया कि 27 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे शहर में निकाली जाएगी। श्रद्धालु स्वयं रथ को खींचकर भगवान को उनकी मौसी के घर ले जाएंगे। भगवान 9 दिन तक मौसी के घर रहेंगे और फिर वापस सेक्टर-31 स्थित मंदिर में लौटेंगे।
भगवान का इलाज: तुलसी और औषधियों का उपयोग
इस दिन मान्यता है कि भगवान और उनके परिवार को मौसमी बुखार हो जाता है, इसलिए उन्हें 'अनबसर घर' में रखा जाता है। एकांतवास के दौरान मंदिर के सेवक भगवान को जायफल, तुलसी और औषधियों का काढ़ा देते हैं। इस दौरान मौसमी फल और दलिया का भोग अर्पित किया जाता है, जबकि अन्न नहीं दिया जाता।
मंदिर के पुजारी इस दौरान अपने मुंह पर कपड़ा बांधकर देसी जड़ी-बूटियों से भगवान का इलाज करते हैं। इस समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और कोई पूजा-पाठ नहीं होता। 15 दिन में भगवान ठीक हो जाते हैं। इस बार 26 जून को भगवान ठीक होंगे और उन्हें बाहर निकालकर पूजा-पाठ किया जाएगा, स्नान कराया जाएगा और प्रसाद का भोग अर्पित किया जाएगा।
पुराने समय में संचार के साधनों की कमी के कारण, भगवान जगन्नाथ के ठीक होने की सूचना देने के लिए मंदिर में नया झंडा लगाया जाता था, जिससे लोग अगले दिन रथ यात्रा में शामिल होने के लिए तैयार हो जाते थे। इसी प्रकार, 26 जून को मंदिर में नया झंडा लगाने की रस्म (नेत्या उत्सव) होगी, जिससे भक्तों को जानकारी मिलेगी कि 27 जून को रथ यात्रा है।