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भगवान शिव की पूजा में वर्जित फूल: जानें कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए

भगवान शिव की पूजा में कुछ फूलों का अर्पण वर्जित है। जानें कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए और इसके पीछे की पौराणिक कथाएं। इस लेख में हम केतकी, कमल, पलाश और अन्य फूलों के बारे में जानकारी देंगे, जो भगवान शिव को अर्पित नहीं करने चाहिए। यह जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है और भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
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भगवान शिव की पूजा में वर्जित फूल: जानें कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए

भगवान शिव की पूजा में फूलों का महत्व

Lord Shiv Puja: हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवताओं के देवता माना जाता है। शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से जल्दी प्रसन्न होते हैं। भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक करते हैं और कई प्रकार के फूल अर्पित करते हैं। हालांकि, कुछ फूलों का भगवान शिव की पूजा में उपयोग करना वर्जित माना गया है।


भगवान शिव को अर्पित न करने वाले फूल

हिंदू शास्त्रों में फूलों को पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। ये सकारात्मक ऊर्जा, शुद्धता, सुगंध और भक्ति का प्रतीक होते हैं। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को सफेद फूल, जैसे आक (मदार), हरसिंगार, चमेली, और धतूरा विशेष रूप से पसंद हैं। आइए जानते हैं वे कौन से फूल हैं, जिन्हें भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।


केतकी (केवड़ा) का फूल

शिवपुराण के अनुसार, केतकी का फूल भगवान शिव की पूजा में वर्जित है। इसका कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच यह विवाद हुआ कि उनमें से कौन श्रेष्ठ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया और कहा कि जो इसका आदि या अंत खोज लेगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा। ब्रह्मा ने ज्योतिर्लिंग का आदि खोजने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। फिर भी, उन्होंने झूठ बोला कि उन्होंने आदि खोज लिया और केतकी के फूल को अपने झूठ का साक्षी बनाया। भगवान शिव को यह अप्रिय लगा, जिसके कारण उन्होंने केतकी के फूल को अपनी पूजा से वर्जित कर दिया।


कमल का फूल

भगवान शिव को कमल का फूल नहीं अर्पित करना चाहिए। कई लोग इसे भोलेनाथ को अर्पित करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। कमल का फूल भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रिय है और यह भोग और विलास का प्रतीक है। जबकि भोलेनाथ त्याग और वैराग्य के देवता हैं, इसलिए यह फूल उन्हें नहीं चढ़ता।


पलाश का फूल

भगवान शिव को पलाश का फूल, जिसे टेसू भी कहा जाता है, अर्पित नहीं करना चाहिए। इसे अपवित्र माना जाता है, इसलिए भोलेनाथ को यह फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।


कांटेदार फूल

जिन फूलों में कांटे होते हैं, उन्हें भोलेनाथ को अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में गृह-कलेश उत्पन्न होता है।


बासी या मुरझाए हुए फूल

भगवान शिव को बासी और मुरझाए हुए फूल अर्पित नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न नहीं होते और पूजा भी स्वीकार नहीं करते हैं।


लाल कनेर का फूल

भोलेनाथ को पीला कनेर प्रिय है, लेकिन लाल कनेर का फूल अर्पित करने से बचना चाहिए।


ध्यान दें

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।