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भगवान शिव के मंदिर जहां घंटी बजाना है अनिवार्य

भगवान शिव के भक्त विभिन्न मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं, जहां घंटी बजाने की परंपरा महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां घंटी बजाना पूजा का अनिवार्य हिस्सा है। जानें कैलाशनाथ, घृष्णेश्वर और घंटेश्वर महादेव मंदिरों की विशेषताएं और वहां घंटी बजाने का महत्व।
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भगवान शिव के मंदिर जहां घंटी बजाना है अनिवार्य

भगवान शिव के मंदिरों में घंटी बजाने का महत्व

भगवान शिव के अनुयायी भारत के विभिन्न मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। हर मंदिर की अपनी विशेष कहानी और परंपरा होती है। कुछ मंदिरों में शराब चढ़ाई जाती है, जबकि अन्य में घंटी बजाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में पूजा की शुरुआत में घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह माना जाता है कि घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और वातावरण को शुद्ध करती है। हालांकि, भगवान शिव के कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां घंटी बजाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है। इन मंदिरों में बिना घंटी बजाए पूजा अधूरी मानी जाती है।




महादेव के इन मंदिरों में घंटी बजाने का विशेष महत्व है। इस लेख में हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां घंटी बजाना पूजा की प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है।


कैलाशनाथ मंदिर

कैलाशनाथ मंदिर


तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित कैलाशनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जिसे पल्लव वंश के दौरान 8वीं शताब्दी में बनाया गया था। भक्तों का मानना है कि जो भी सच्चे मन से पूजा करता है और घंटी बजाता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।




कैलाशनाथ मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा महादेव को जागृत करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी चेतना को जागृत करने की प्रक्रिया मानी जाती है। घंटी की ध्वनि एक आध्यात्मिक कंपन उत्पन्न करती है, जो भक्तों के ध्यान को स्थिर करती है। यहां बिना घंटी बजाए की गई पूजा अधूरी मानी जाती है।




कैलाशनाथ मंदिर कैसे पहुंचे


आप मेजर सिटीज से इस मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।




कांचीपुरम रेलवे स्टेशन भी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से नियमित बसों और टैक्सियों की सुविधा उपलब्ध है।


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर


महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित घृष्णेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम स्थान रखता है। यह मंदिर शिव भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है।




इस मंदिर की एक खास परंपरा है कि हर भक्त को मंदिर में प्रवेश करने से पहले मुख्य द्वार पर लगी घंटी को बजाना चाहिए। यह केवल पूजा की शुरुआत का संकेत नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति अपनी उपस्थिति और समर्पण की घोषणा भी होती है।




मंदिर में घंटी बजाने से श्रद्धालु अपनी नकारात्मकता को छोड़कर मंदिर में प्रवेश करता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां घंटी बजाकर मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है।




घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे


इस मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 30 किमी दूर है। आप यहां कैब या टैक्सी लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं।




औरंगाबाद रेलवे स्टेशन भी मंदिर से करीब 28-30 किमी दूर है। यहां से टैक्सी, लोकल बस और कैब की सुविधा उपलब्ध है।


घंटेश्वर महादेव मंदिर

घंटेश्वर महादेव मंदिर


हरियाणा के इस मंदिर की पहचान यहां लगी सैकड़ों छोटी-बड़ी घंटियों की श्रृंखला है, जो दूर से ही श्रद्धालुओं का ध्यान खींचती है। यहां आने वाला हर भक्त दर्शन से पहले घंटी जरूर बजाता है।




भक्तों का मानना है कि यदि कोई सच्चे मन से भगवान शिव का नाम लेकर घंटी बजाता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। कई श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर यहां बड़ी पीतल की घंटी चढ़ाते हैं।




घंटेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे


इस मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली है, जो मंदिर से लगभग 80 किमी दूर है। आप एयरपोर्ट से टैक्सी और कैब की सुविधा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।




अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं, तो रेवाड़ी जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से महज 2-3 किमी की दूरी पर है। यहां से आप ई-रिक्शा, ऑटो या टैक्सी लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।




सड़क मार्ग से रेवाड़ी दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित है, जहां से नियमित बस सेवा और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।