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भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी 2025: उत्सव की तिथियाँ और विशेष विधियाँ

भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी 2025 का पर्व भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाएगा। मथुरा, वृंदावन और द्वारका में इस उत्सव का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है। जानें इस साल जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी, स्मार्त परंपरा के अनुसार पूजा का समय और भगवान को प्रसन्न करने के लिए भोग की विशेषताएँ।
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भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी 2025: उत्सव की तिथियाँ और विशेष विधियाँ

भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व

जन्माष्टमी 2025: भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। मथुरा, वृंदावन और द्वारका में इस पर्व का आयोजन पूरे एक पखवाड़े तक किया जाता है। भक्तगण भगवान की बाल लीलाओं की झांकियाँ सजाते हैं और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को, बुधवार के दिन, रोहिणी नक्षत्र में, आधी रात 12 बजे वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था। भगवान विष्णु के दशावतारों में श्रीकृष्ण को सबसे प्रमुख पूर्ण अवतार माना जाता है। आइए जानते हैं इस वर्ष जन्माष्टमी कब और किस शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी।


दृक पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। यह पर्व पहले 15 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।


स्मार्त परंपरा:
स्मार्त परंपरा से जुड़े लोग 16 अगस्त 2025 को निशीथ काल की पूजा 00:05 से 00:47 बजे तक कर सकेंगे। इस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त 16 अगस्त 2025 की रात 09:24 के बाद पारण कर सकेंगे।


बांसुरी:
जन्माष्टमी के दिन घर में एक बांसुरी लाकर रात्रि में कृष्ण जी की पूजा में अर्पित करें। अगले दिन इस बांसुरी को घर की पूर्व दिशा की दीवार पर तिरछी लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में खुशहाली आने की मान्यता है।


भोग:
लड्डू गोपाल को खोए से बने पेड़े का भोग लगाना चाहिए। पेड़े का भोग भगवान श्रीकृष्ण को तुरंत प्रसन्न करता है।