Newzfatafatlogo

भगवान सदाशिव के ज्योतिर्लिंगों की कथा: आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज का प्रवचन

श्रावणी शिव महापुराण कथा के सातवें दिन, आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज ने भगवान सदाशिव के बारह ज्योतिर्लिंगों की कथा सुनाई। उन्होंने शिव के विभिन्न अवतारों का वर्णन किया और बताया कि कैसे ये ज्योतिर्लिंग भक्तों के कल्याण के लिए स्थापित हुए। कथा में शामिल यजमानों ने आचार्य जी को तिलक टीका और पुष्प माला पहनाकर आशीर्वाद लिया। जानें इस कथा के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में।
 | 
भगवान सदाशिव के ज्योतिर्लिंगों की कथा: आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज का प्रवचन

श्रावणी शिव महापुराण कथा का सातवां दिन


Ambala News : श्री कबीर जन कल्याण सेवाश्रम, नगर खेड़ा मोती नगर में श्रावणी शिव महापुराण सप्ताह की कथा का सातवां दिन मनाया गया। इस अवसर पर यजमान श्री दिनेश सिंह चौहान, सुदेश चौहान, श्री मती जुली पुंडीर, गुरुसेवक संधू, अनिल कुमार, यश्वती रतन, सुभाष सैनी, हरिदास लुहारी, ओमी राठौर, और श्रेष्ठा राठौर ने कथा व्यास को तिलक टीका और पुष्प माला पहनाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।


शिव के विभिन्न अवतारों का वर्णन

कथा के सप्तम दिवस पर आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि शिव के अनेक अवतार शिवमहापुराण में वर्णित हैं। इनमें ग्यारह रुद्रा अवतार जैसे नंदीश्वर, गृहपति, दुर्वासा, पिप्पलाद, यतिवर हंसावतार, कृष्णदर्शन, अवधूतवतार, भिक्षुवर्य, सुरेश्वरवतार, किरात, और हनुमतावतार शामिल हैं। भगवान शंकर ने भारत में ग्यारह स्थानों पर भक्तों के कल्याण के लिए सदाशिव रूप में प्रगट होकर ज्योतिर्लिंग स्थापित किए।


बारह ज्योतिर्लिंगों का विवरण

आचार्य जी ने बारह ज्योतिर्लिंगों की कथा सुनाई। पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ है, जो काठियावाड़, गुजरात में समुद्र किनारे स्थित है। दूसरा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्री शैलम पर्वत पर है। तीसरा महाकाल ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के शिप्रा नदी के किनारे है। चौथा ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर है। पांचवां केदारनाथ उत्तराखंड में है। छठा भीमाशंकर महाराष्ट्र में भीमा नदी के तट पर है। सातवां विश्वनाथ उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है। आठवां त्र्यंबकेश्वर गोमती तट पर है। नौवां बैद्यनाथ झारखंड में है। दसवां नागेश्वर द्वारका के समीप है। ग्यारहवां रामेश्वरम तमिलनाडु में है। बारहवां घृष्णेश्वर है।


आचार्य जी ने कहा कि यदि कोई भक्त कथा के अंतिम दिन द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा सुनता है, तो उसे पूरी शिवपुराण कथा सुनने का फल प्राप्त होता है। कथा के अंत में श्री मती सुनीता वर्मा ने कथा व्यास और भक्तों के प्रति आभार व्यक्त किया। अंत में आरती के बाद यजमानों द्वारा प्रसाद का वितरण किया गया।