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भडल्या नवमी: शुभ कार्यों का अबूझ मुहूर्त

भडल्या नवमी, जिसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य बिना ज्योतिषीय सलाह के किए जा सकते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, यह तिथि 4 जुलाई को मनाई जाएगी और इस दिन विवाह के लिए अंतिम मुहूर्त है। इसके बाद चार महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे। जानें इस दिन की विशेष पूजा और दान के महत्व के बारे में।
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भडल्या नवमी: शुभ कार्यों का अबूझ मुहूर्त

भडल्या नवमी का महत्व

सनातन धर्म में भडल्या नवमी का विशेष स्थान है, जिसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। सरल शब्दों में, इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर 2:07 बजे से शुरू होगी और 4 जुलाई को शाम 4:33 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, भडल्या नवमी 4 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन अक्षय तृतीया के समान शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है, बिना किसी ज्योतिषी से परामर्श किए।


शादी का मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी 4 जुलाई को है और यह इस सीजन का अंतिम विवाह मुहूर्त है। हालांकि, इस समय गुरु अस्त चल रहे हैं, जिससे मांगलिक कार्यों पर रोक लगी हुई है। फिर भी, भडल्या नवमी को अबूझ मुहूर्त माना जाने के कारण इस दिन विवाह की संख्या अधिक होगी। इसके दो दिन बाद, 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य थम जाएंगे, जो एक नवंबर को देवों के जागने के साथ फिर से शुरू होंगे।


अबूझ मुहूर्त का महत्व

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, अबूझ मुहूर्त में किसी प्रकार का पंचांग या मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन गुरु या शुक्र तारा अस्त भी नहीं देखा जाता है।


भडल्या नवमी तिथि

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर 2:07 बजे शुरू होगी और 4 जुलाई को शाम 4:33 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, इसे 4 जुलाई को मनाया जाएगा।


गुरु तारा का अस्त

डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसके बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, जिससे अगले चार महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे में, चातुर्मास शुरू होने से पहले शुभ कार्य करने का अंतिम दिन भडल्या नवमी है। पिछले एक महीने से विवाह के कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त चल रहे हैं।


खरमास का समय

डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष नवंबर में केवल सात दिन और दिसंबर में सिर्फ पांच दिन विवाह मुहूर्त हैं। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास होने के कारण विवाह नहीं हो सकेंगे। विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर से चार फरवरी तक भी नहीं होंगे। शुक्र ग्रह के उदित होने के बाद पांच फरवरी से विवाह की शुरुआत होगी।


अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त

भडल्या नवमी को अबूझ या स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में माना गया है, जिसका अर्थ है कि इस दिन शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।


महत्व

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि भडल्या नवमी तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस दिन शुभ कार्य करने के लिए ज्योतिष गणना की आवश्यकता नहीं होती। जातक अपनी सुविधा के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं। इस तिथि पर शुभ कार्य करने से अक्षय तृतीया के समान फल प्राप्त होता है।


विशेष पूजा

इस नवमी पर गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, छाता, जूते-चप्पल, और कपड़े का दान करना चाहिए।