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मंगला गौरी व्रत: कथा और महत्व

मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, जो वैवाहिक सुख और इच्छित वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान कथा का पाठ करना महत्वपूर्ण है, जिससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। जानें इस व्रत की कथा और इसके लाभ के बारे में, जो नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
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मंगला गौरी व्रत: कथा और महत्व

मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत वैवाहिक सुख और इच्छित वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान कथा का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसलिए, जो लोग मंगला गौरी व्रत करते हैं, उन्हें इसकी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। इस लेख में हम मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में विस्तार से बताएंगे।


मंगला गौरी व्रत कथा

एक समय की बात है, एक व्यापारी जिसका नाम धर्मपाल था, एक शहर में निवास करता था। धर्मपाल की पत्नी अत्यंत सुंदर थी और उनके पास बहुत संपत्ति थी, लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी, जिससे वे बहुत दुखी रहते थे। भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र हुआ, जिसका नाम सोमप्रकाश रखा गया, लेकिन वह अल्पायु था। उन्हें यह श्राप मिला था कि 16 साल की उम्र में सांप काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी।


संयोगवश, धर्मपाल के बेटे सोमप्रकाश की शादी 16 साल की उम्र से पहले सुमति नाम की युवती से हुई। सुमति की मां मंगला गौरी व्रत करती थीं और उन्होंने अपनी बेटी को भी यह व्रत करना सिखाया। शादी के बाद, सुमति ने पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मंगला गौरी का व्रत किया और मां पार्वती से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। माता मंगला गौरी सुमति की भक्ति से प्रसन्न हुईं और सोमप्रकाश की अकाल मृत्यु को टाल दिया। माता मंगला की कृपा से सोमप्रकाश दीर्घायु और स्वस्थ जीवन जीने लगा। साथ ही, सुमति की भक्ति और व्रत के प्रभाव से उनका वैवाहिक जीवन भी सुखी रहा।


इस व्रत के प्रभाव से सोमप्रकाश की आयु 100 वर्ष हो गई। जो भी नवविवाहित महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती हैं और श्रद्धा से पूजा करती हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।