महाभारत में हनुमान जी का क्रोध: अर्जुन और कर्ण का युद्ध

महाभारत की अद्भुत कथा
महाभारत की कहानी: महाभारत का युद्ध रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ है। एक ऐसा प्रसंग है जब भगवान हनुमान युद्धभूमि में क्रोधित हो गए और अर्जुन के प्रतिद्वंद्वी कर्ण को समाप्त करने के लिए तैयार हो गए। यह घटना उस समय की है जब अर्जुन और कर्ण के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। दोनों योद्धा अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग कर रहे थे। तभी कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण की ओर बाण चलाया, जो अर्जुन के सारथी थे। यह देखकर हनुमान जी, जो रथ की ध्वजा पर विराजमान थे, अत्यंत क्रोधित हो गए।
हनुमान जी का विकराल रूप
हनुमान जी ने तुरंत अपना विकराल रूप धारण किया
हनुमान जी ने तुरंत अपना विशाल रूप धारण किया और भयंकर गर्जना की। उनकी आवाज से पूरा युद्धक्षेत्र थर्रा उठा और कौरव सेना भयभीत होकर पीछे हट गई। हनुमान जी, जो श्रीराम के अनन्य भक्त माने जाते हैं, ने कर्ण के हमले को सहन नहीं किया और उसे समाप्त करने का निश्चय किया।
भगवान श्रीकृष्ण का हस्तक्षेप
भगवान श्रीकृष्ण ने हनुमान जी को शांत किया
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने हनुमान जी को शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने उनसे कहा कि वे उनकी ओर देखें। जैसे ही हनुमान जी ने श्रीकृष्ण की आंखों में देखा, उन्हें श्रीराम की छवि दिखाई दी और उनका क्रोध शांत हो गया। वे फिर से अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान हो गए और युद्ध जारी रहा। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि महाभारत केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि देवताओं की इच्छाओं और लीलाओं से भरी एक महान कथा है। यह प्रसंग हनुमान जी की भक्ति और श्रीकृष्ण की बुद्धिमत्ता को दर्शाता है।