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मां कात्यायनी की उपासना: भोग और पूजा विधि

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त पीले रंग के वस्त्र पहनकर और शहद से बने व्यंजन का भोग अर्पित करते हैं। मां कात्यायनी का स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है। जानें इस दिन की पूजा विधि, प्रिय भोग और सामग्री के बारे में, जिससे आप मां को प्रसन्न कर सकें।
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मां कात्यायनी की उपासना: भोग और पूजा विधि

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा


नवरात्र के छठे दिन देवी मां के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी, जो शेर पर सवार होती हैं और चार भुजाओं से युक्त हैं, शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन भक्तों को स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए। पीला रंग इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, इसलिए भक्त पीले वस्त्र पहनकर और पीले फूल अर्पित कर मां को प्रसन्न करते हैं।


मां कात्यायनी की पूजा का महत्व

मां कात्यायनी की पूजा में धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूजा विधि में पहले कलश का पूजन कर देवी का आह्वान किया जाता है, फिर कात्यायनी मंत्रों का जप कर आरती की जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से की गई साधना साधक के जीवन में प्रेम, सौंदर्य और वैवाहिक सुख लाती है।


मां कात्यायनी को प्रिय भोग

माता को शहद और पीला रंग बहुत प्रिय है। इस दिन भक्त पीले रंग के हलवे या शहद से बने व्यंजन का भोग लगाकर देवी को प्रसन्न करते हैं।


भोग के लिए सामग्री

मां कात्यायनी को अर्पित करने के लिए गुड़, बूंदी के लड्डू, मालपुआ, नारियल, खीर और पके हुए पीले फल भी प्रिय माने जाते हैं। इन भोगों को अर्पित करने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और साधक को विवाह-सुख, सौभाग्य तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।


हलवा बनाने की विधि

हलवा बनाने के लिए सूजी, गाय का घी, शहद, पानी, काजू, किशमिश, चिरौंजी, केसर और इलायची की आवश्यकता होती है। सबसे पहले कड़ाही में घी गर्म करें और उसमें सूजी को हल्का भून लें। फिर एक बर्तन में पानी उबालें और उसमें कटे हुए काजू, किशमिश व चिरौंजी डालें। अब इसमें भुनी हुई सूजी और केसर डालकर अच्छे से मिला दें। चीनी की जगह शहद डालें और जब हलवा गाढ़ा हो जाए तो आंच बंद कर इलायची पाउडर मिला दें। यह हलवा माता को अर्पित करने के लिए तैयार है।


देवी मंत्र

मां कात्यायनी की पूजा के समय यह मंत्र जपना अत्यंत फलदायी माना गया है।


  • या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


पूजा विधि

सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ और अधिमानत: पीले रंग के वस्त्र धारण कर मां कात्यायनी की पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर माता को अक्षत, रोली, कुमकुम, पीले फूल और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। देवी की आरती कर मंत्रों का जप करना इस दिन बेहद शुभ फल प्रदान करता है।