मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों का तर्पण कैसे करें
मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व
20 नवंबर को मनाया जाएगा मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व
नई दिल्ली: अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है और इसे उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। इस दिन श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक क्रियाकलापों के माध्यम से पितृ दोष से मुक्ति पाने के उपाय किए जाते हैं। मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यदि आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस लेख में बताए गए विधि का पालन करें। वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि 19 नवंबर को सुबह 09:43 बजे से आरंभ होगी और 20 नवंबर को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी।
तर्पण का मुहूर्त
मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:53 से 05:45 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:39 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:34 से 06:01 तक
तर्पण विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या तर्पण विधि
- अमावस्या के दिन सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- एक लोटे में साफ जल लें और उसमें चावल तथा तिल मिलाएं।
- अब जल को उत्तर दिशा में अर्पित करें।
- पितरों के नाम का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- तर्पण के बाद दीपक जलाएं।
- पूर्वजों को भोग अर्पित करें और श्रद्धा अनुसार गरीबों या मंदिर में दान करें।
अमावस्या के दिन के उपाय
अमावस्या के दिन करें ये उपाय
आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए, अमावस्या की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की 5 या 7 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
दान का महत्व
दान भी करें
इस दिन दान का विशेष महत्व है। पूजा के बाद काले तिल का दान अवश्य करें। ऐसा माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
