मार्गशीर्ष अमावस्या: पितरों की पूजा और शुभ मुहूर्त का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि को अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह तिथि हर महीने आती है और इसे न केवल पितरों की पूजा के लिए विशेष माना जाता है, बल्कि आध्यात्मिक साधना, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए भी शुभ समझा जाता है।
आज, 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है, जिसे मृगशिरा या अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों के तर्पण के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। यह तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 9:43 बजे हुई थी, और यह तिथि 20 नवंबर को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 पूजन मुहूर्त
आज मार्गशीर्ष अमावस्या पर कई शुभ मुहूर्त बने हैं, जिनमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
प्रात: संध्या मुहूर्त – सुबह 5:28 से 6:48 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:45 से दोपहर 12:28 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 1:53 से 2:35 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 5:26 से 5:52 बजे तक
संध्या मुहूर्त – शाम 5:26 से 6:46 बजे तक
पितृ पूजन का महत्व
अमावस्या तिथि को पितरों का देवता माना जाता है। इस दिन किया गया पितृ तर्पण और उपाय अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। कहा जाता है कि योग्य ब्राह्मण को विधिवत भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन की बाधाएँ दूर होने लगती हैं।
इस दिन व्रत रखना, जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या आवश्यक वस्तुओं का दान देना अत्यंत शुभ माना गया है। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी पुण्यदायी माना जाता है।
अमावस्या तिथि के लाभ
मार्गशीर्ष अमावस्या पर व्रत, ध्यान, जप और दान अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, निर्धनों को भोजन कराया जाता है और वस्त्र दान किए जाते हैं। इस दिन सात्त्विकता और पवित्रता का पालन करना शुभ फल प्रदान करता है।
