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मार्गशीर्ष माह: स्नान, दान और दीपदान का महत्व

मार्गशीर्ष माह, जो कार्तिक पूर्णिमा के बाद शुरू होता है, भगवान श्रीकृष्ण के लिए विशेष है। इस माह में स्नान, दान और दीपदान का महत्व अत्यधिक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस पवित्र माह में किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है। जानें इस माह में पूजा विधि, दीपदान के स्थान और दान के महत्व के बारे में।
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मार्गशीर्ष माह: स्नान, दान और दीपदान का महत्व

जीवन में अंधकार को दूर करता है दीपदान


मार्गशीर्ष माह का आरंभ:
पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के बाद मार्गशीर्ष माह की शुरुआत होती है। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पवित्र माह में स्नान, दान और दीपदान करने से सभी पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष के द्वार खुलते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि मैं मासों में मार्गशीर्ष हूं। इस माह में ब्राह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है, जिससे पापों का नाश होता है और व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है।


पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जानी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान की प्रतिमा को पंचामृत या दूध से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र, गोपी चंदन और तुलसी दल अर्पित करें। इस माह में तुलसी की माला से कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्रनाम या गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। शाम को तुलसी माता के पास घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें।


मार्गशीर्ष माह का धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष माह को धर्म, ज्ञान, भक्ति और साधना का सर्वोत्तम समय माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस माह में किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है।



  • श्रीकृष्ण का स्वरूप: भगवान श्रीकृष्ण ने इस माह को अपना स्वरूप बताया है, इसलिए यह महीना उनकी भक्ति और आराधना के लिए सर्वोत्तम है।

  • पापों का नाश: इस पवित्र माह में नियमपूर्वक स्नान, दान और जप-तप करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

  • मोक्ष की प्राप्ति: आत्म-शुद्धि, धर्म-कर्म और सच्ची भक्ति से मोक्ष के द्वार खुलते हैं।


स्नान, दान और दीपदान

पवित्र स्नान: शास्त्रों में मार्गशीर्ष माह में यमुना नदी में स्नान करने का विशेष पुण्य बताया गया है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर स्नान के जल में गंगाजल या तुलसी की पत्तियां मिलाकर स्नान कर सकते हैं।


महादान: इस माह में अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। अन्न (जैसे चावल, दाल), वस्त्र, धन और कंबल का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए।


दीपदान: पूरे मार्गशीर्ष माह में दीपदान का विशेष विधान है।


कहां जलाएं दीपक?


तुलसी के पास: शाम के समय तुलसी के पौधे के पास शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।


मुख्य द्वार: घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।