मोरनी मंडल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
चंडीगढ़ समाचार: भारतीय जनसंघ के संस्थापक और महान विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर मोरनी मंडल के सभी बूथों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने उनके देश के प्रति योगदान को याद किया और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया।
विशेष आयोजन ठंडोग और राजी टिकरी बूथों पर
ठंडोग और राजी टिकरी बूथों पर आयोजित विशेष कार्यक्रमों में बलदेव राणा (बीडीसी गवाही) और भूपेंद्र सिंह हथिया ने उपस्थित लोगों को डॉ. मुखर्जी के जीवन, संघर्ष और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी एक भारतीय बैरिस्टर, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और समर्पित कार्यकर्ता थे, जिन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
डॉ. मुखर्जी का संघर्षपूर्ण जीवन
डॉ. मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ और उनका निधन 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में हुआ। वे 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री बने। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी की और ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार किया।
अगस्त 1952 में जम्मू में एक विशाल रैली के दौरान उन्होंने कहा, "या तो मैं आपको भारतीय संविधान दिलवाऊंगा या फिर अपने प्राण दे दूंगा। एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे।" यह नारा आज भी देशभक्ति का प्रतीक है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल
इस कार्यक्रम में बलदेव राणा (बीडीसी), भूपेंद्र सिंह हथिया, बलजीत राणा, खुशहाल सिंह, सुरेंद्र सिंह, भीम सिंह, वीरेंद्र सिंह, जसवंत सिंह, गुलजार सिंह, मीना देवी, पुरुषोत्तम दत्त, नरेंद्र सिंह, नरेश कुमार, जयपाल, हीरा सिंह, परवीन सहित कई स्थानीय कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवादी विचारों से जोड़ना और उनके बलिदान को जन-जन तक पहुंचाना था। पूरे मोरनी मंडल में इस दिन देशभक्ति का माहौल देखने को मिला।