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यमुना नदी का नाम कालिंदी: एक पौराणिक कथा

यमुना नदी, जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, का एक और नाम कालिंदी है। इस लेख में हम जानेंगे कि यमुना को कालिंदी क्यों कहा जाता है और इसके पीछे की रोचक पौराणिक कथा क्या है। यह कहानी श्री कृष्ण और यमुना माता के विवाह से जुड़ी है, जो इस नदी के महत्व को और भी बढ़ाती है। जानें इस दिलचस्प कथा के बारे में और यमुना के पवित्र जल के पीछे की कहानी।
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यमुना नदी का नाम कालिंदी: एक पौराणिक कथा

यमुना नदी का पवित्र महत्व

हिंदू धर्म में यमुना नदी को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे माता के रूप में पूजा जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यमुना का एक अन्य नाम कालिंदी भी है? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इस लेख में हम जानेंगे कि यमुना को कालिंदी क्यों कहा जाता है।


कालिंदी नाम का अर्थ

हिंदू धर्म के ग्रंथों में उल्लेख है कि यमुना नदी हिमालय की एक पर्वत श्रृंखला से निकलती है, जिसका नाम कालिंदी है। इसी कारण से यमुना को कालिंदी कहा जाता है। लेकिन इसके पीछे एक और रोचक कारण भी है।


पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन को ब्रज धाम ले जाने का वचन दिया था। वहां यमुना नदी के किनारे एक सुंदर कन्या बैठी थीं, जो स्वयं यमुना माता थीं। अर्जुन ने उनसे पूछा कि वह अकेली क्यों हैं। यमुना ने बताया कि वह श्री कृष्ण का इंतजार कर रही हैं, क्योंकि उन्होंने वादा किया था कि वह लौटकर आएंगे और उनसे विवाह करेंगे।


जब श्री कृष्ण यमुना के पास पहुंचे, तब देवी यमुना ने उन्हें उनके वचन की याद दिलाई। इसके बाद श्री कृष्ण ने देवी यमुना से विवाह किया। श्री कृष्ण को काली कमली वाला कहा जाता है और उनका रंग भी श्याम है।


इस विवाह के बाद देवी यमुना को कालिंदी के नाम से जाना जाने लगा। माना जाता है कि जब भी श्री कृष्ण की पटरानियों का नाम लिया जाता है, तब यमुना देवी को कालिंदी के रूप में स्मरण किया जाता है। इसके अलावा, यमुना नदी के जल का रंग काला होने के कारण भी उनका नाम कालिंदी पड़ा।