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योग: एक वैश्विक स्वास्थ्य साधन या राजनीतिक उपकरण?

योग, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आजकल राजनीतिक संदर्भों में देखा जा रहा है। क्या यह केवल एक स्वास्थ्य साधन है या इसे एक विशेष विचारधारा से जोड़ा जा रहा है? इस लेख में हम योग की सार्वभौमिकता, इसके स्वास्थ्य लाभ और राजनीतिक आरोपों पर चर्चा करेंगे। जानें कि योग को कैसे एक समावेशी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, ताकि सभी लोग इसके लाभ उठा सकें।
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योग: एक वैश्विक स्वास्थ्य साधन या राजनीतिक उपकरण?

योग की सार्वभौमिकता और राजनीतिक संदर्भ

योग, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आजकल 'हिंदुत्व एजेंडा' के तहत देखा जा रहा है। इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा जारी है, विशेषकर जब सरकारें या संगठन इसे बड़े पैमाने पर बढ़ावा देते हैं। संपादकीय विश्लेषण में यह कहा गया है कि योग को केवल एक धार्मिक या राजनीतिक उपकरण के रूप में देखना इसकी व्यापक अपील और स्वास्थ्य लाभों को कमज़ोर करता है।


योग केवल कुछ आसनों और श्वास क्रियाओं का समूह नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का एक समग्र अभ्यास है। इसकी जड़ें प्राचीन भारतीय दर्शन में हैं, लेकिन यह किसी विशेष धर्म या विश्वास प्रणाली तक सीमित नहीं है। विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमियों के लाखों लोग योग का अभ्यास करते हैं, क्योंकि यह उन्हें तनाव कम करने, लचीलापन बढ़ाने, एकाग्रता में सुधार करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह एक वैज्ञानिक अभ्यास है, जिसके लाभों को अनुसंधान द्वारा सिद्ध किया गया है।


कुछ आलोचक और राजनीतिक समूह योग के सरकारी प्रचार को हिंदुत्व या बहुसंख्यकवादी विचारधारा को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि सरकार इस अभ्यास को एक विशेष धार्मिक पहचान से जोड़कर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को थोपने की कोशिश कर रही है। यह आरोप तब लगते हैं जब योग के साथ कुछ धार्मिक मंत्रों या प्रतीकों को जोड़ा जाता है, या जब इसे ऐसे तरीकों से प्रस्तुत किया जाता है जो गैर-हिंदू समुदायों को अलग कर सकते हैं।


इस संपादकीय का तर्क है कि योग को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण है। जब सरकारें योग के अभ्यास को प्रोत्साहित करती हैं, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम करने, नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। योग को एक राजनीतिक या धार्मिक एजेंडा के रूप में देखने से लोग इसके वास्तविक लाभों से वंचित हो सकते हैं।


योग का प्रचार करते समय, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इसे समावेशी तरीके से प्रस्तुत किया जाए, जो सभी पृष्ठभूमियों के लोगों के लिए सुलभ हो और किसी भी धार्मिक या राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त हो। योग की जड़ें भले ही भारत में हों, लेकिन इसके लाभ सार्वभौमिक हैं और इसे एक वैश्विक स्वास्थ्य उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि किसी विशेष विचारधारा के प्रतीक के रूप में।