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योगिनी एकादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ

योगिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे हर महीने मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें इस व्रत का महत्व, पूजा विधि, और कौन से भोग अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। साथ ही, जानें इस दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। योगिनी एकादशी पर दान का भी विशेष महत्व है।
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योगिनी एकादशी: महत्व, पूजा विधि और लाभ

योगिनी एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए, हम योगिनी एकादशी व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


योगिनी एकादशी के बारे में जानें

यह व्रत हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान एकादशी का नाम माह के अनुसार रखा जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष, यह व्रत 21 जून 2025 को है। पंडितों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने का पुण्य फल प्राप्त होता है। इसके अलावा, व्रत का पालन करने से आर्थिक लाभ भी होता है। एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं।


योगिनी एकादशी तिथि

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून 2025 को सुबह 07:18 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 22 जून को सुबह 04:27 बजे होगा। इस प्रकार, 21 जून को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।


योगिनी एकादशी शुभ योग

पंचांग के अनुसार, योगिनी एकादशी पर अश्विनी नक्षत्र शाम 7:50 बजे तक रहेगा। इस दिन अतिगण्ड योग भी है, जो रात 8:28 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 से 12:47 तक और अमृतकाल दोपहर 1:12 से 2:40 तक रहेगा।


योगिनी एकादशी पर भोग

इस दिन भगवान विष्णु को मखाने की खीर का भोग अर्पित करें। पंडितों के अनुसार, यह भोग भगवान को प्रसन्न करता है। इसके अलावा, पंचामृत का भोग भी अर्पित करें, जिससे जीवन में शांति और तनाव से मुक्ति मिलती है। मंत्रों का जप सूर्योदय से पहले स्नान कर, पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर करें। हर मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। तुलसी पत्र और पीले पुष्प अर्पित करें। व्रत कथा सुनना और दान-पुण्य करना न भूलें।


योगिनी एकादशी के लाभकारी मंत्र

1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
यह भगवान विष्णु का प्रमुख मंत्र है। इसका निरंतर जप मन को शांति प्रदान करता है और भक्त को श्रीहरि का सान्निध्य प्राप्त होता है।
2. ॐ विष्णवे नमः
यह मंत्र भगवान विष्णु की उपासना के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इससे सभी दोषों का नाश होता है और जीवन में शुभता आती है।
3. ॐ श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नमः
यह एक शक्तिशाली मंत्र है, जो देवी लक्ष्मी और भगवान नारायण को समर्पित है। इसका नियमित जाप मानसिक शुद्धि और भक्तिभाव को बढ़ाता है।


योगिनी एकादशी व्रत में आहार

इस व्रत में आप सभी प्रकार के फल जैसे सेब, केला, संतरा, अंगूर, पपीता, अनार, शकरकंद, आलू आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, दूध, दही, छाछ, पनीर, मावा आदि का सेवन भी किया जा सकता है। सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, पूड़ी, परांठा भी खा सकते हैं।


योगिनी एकादशी में वर्जित आहार

पंडितों के अनुसार, इस दिन चावल का सेवन पूरी तरह से मना है। जो लोग चावल खाते हैं, उन्हें अगले जन्म में कीड़े के रूप में जन्म लेना पड़ता है। गेहूं, जौ, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंग, मसूर, चना, काला चना आदि का सेवन भी वर्जित है। प्याज और लहसुन का सेवन भी नहीं करना चाहिए।


दान का महत्व

योगिनी एकादशी के दिन नए वस्त्र जरूरतमंदों को दान करें। पीले वस्त्र का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
इस दिन जल का दान भी करें। प्यासे को पानी पिलाना बहुत शुभ माना जाता है।
अन्न दान का विशेष महत्व है। गेहूं, चावल, दाल, फल दान करना शुभ है।


भगवान को प्रिय फूल

भगवान विष्णु को कमल का फूल प्रिय है। इस दिन उन्हें कमल का फूल अर्पित करें। गेंदे का फूल चढ़ाने से पारिवारिक तनाव दूर होता है। गुड़हल का फूल चढ़ाने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।


योगिनी एकादशी का विशेष महत्व

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु को मौसमी फल, पीले पुष्प और तुलसी अर्पित करें।