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रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा का महत्व और विधि 2025

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, जो हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पर्व 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राखी बांधने से पहले श्रवण कुमार की पूजा करना आवश्यक है? इस लेख में हम जानेंगे कि श्रवण कुमार की पूजा का महत्व क्या है और इसे कैसे सही तरीके से किया जाता है।
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रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा का महत्व और विधि 2025

रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा कैसे करें

रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा का महत्व: रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, जो हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पर्व 9 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा।


इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राखी बांधने से पहले श्रवण कुमार की पूजा करना आवश्यक है?


हर सनातनी इस दिन श्रवण कुमार की पूजा करता है, जिसे सोना पूजा या सूण पूजा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि श्रवण कुमार की पूजा क्यों की जाती है और इसकी विधि क्या है।


रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा विधि

रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा कैसे करें


श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण कुमार की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सोना, सूण या श्रवण पूजा के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले श्रवण कुमार की आकृति बनाएं।


फिर पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें हल्दी, कलश, अक्षत, फूल, दूब घास, रोली, कलावा, राखी और चंदन रखें। पहले भगवान की पूजा करें, फिर श्रवण कुमार की विधिवत पूजा शुरू करें। उनकी आकृति पर चंदन और टीका लगाएं, फिर वस्त्र के रूप में कलावा अर्पित करें।


इसके बाद फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं। अब श्रवण कुमार को राखी बांधें और घर-परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। पूजा के बाद श्रवण कुमार की कथा सुनें और उन्हें जल अर्पित करें। इसके बाद ही अपने भाई को राखी बांधें।


श्रवण कुमार पूजा का धार्मिक महत्व

श्रवण कुमार पूजा का महत्व


श्रवण कुमार की पूजा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ ने शिकार के दौरान गलती से श्रवण कुमार को तीर मार दिया था, जो अपने अंधे माता-पिता का इकलौता सहारा थे।


इस घटना से दुखी दशरथ ने श्रवण के माता-पिता से क्षमा मांगी, लेकिन बेटे की मृत्यु का दुख सुनकर उन्होंने भी प्राण त्याग दिए। अपने इस अपराध के प्रायश्चित के लिए दशरथ ने श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण पूजा की परंपरा शुरू की।


तभी से सनातन धर्म में रक्षाबंधन के दिन श्रवण कुमार की पूजा की जाती है। यह पूजा भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करती है और परिवार में सुख-शांति लाती है।