रविवार व्रत: सूर्य पूजा और रवि योग से प्राप्त करें सुख और समृद्धि

व्रत की विधि, मुहूर्त और मंत्र
(नई दिल्ली) रविवार का व्रत 5 अक्टूबर को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि योग में मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सूर्य कन्या राशि में हैं और चंद्रमा 6 अक्टूबर को रात 12:45 बजे तक कुंभ राशि में रहेगा, उसके बाद मीन राशि में प्रवेश करेगा।
अग्नि और स्कंद पुराणों में कहा गया है कि रविवार का व्रत करने से साधक को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से आरंभ किया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है। 12 रविवार तक व्रत करने के बाद उद्यापन करना चाहिए।
रविवार व्रत का मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा। वहीं, राहुकाल शाम 4:34 बजे से 6:02 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर को शाम 5:09 बजे से शुरू होकर 5 अक्टूबर को दोपहर 3:03 बजे तक रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि आएगी।
रविवार के शुभ योग
रविवार को रवि योग सुबह 08:01 बजे से शुरू होगा और पूरी रात रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग चतुर्दशी तिथि में 6 अक्टूबर को 06:16 बजे से 06:17 बजे तक रहेगा। यह ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।
रविवार व्रत के नियम और पूजा विधि
- रविवार व्रत आरंभ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें।
- सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र का जाप करें और रविवार व्रत कथा सुनें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- रविवार को आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र 'हूं सूर्याय नम:' या 'हूं घृणि सूर्याय नम:' का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है।
- रविवार को गुड़ और तांबे का दान भी महत्वपूर्ण है। इन उपायों से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है।