राम दरबार की स्थापना: महत्व और वास्तु नियम

राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा
राम दरबार के वास्तु नियम: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में 3 से 5 जून 2025 के बीच राम दरबार और अन्य 14 मंदिरों की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब राम दरबार की स्थापना की तैयारी चल रही है। राम दरबार को हिंदू धर्म में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है।
राम दरबार का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर घर में राम दरबार की मूर्ति या तस्वीर होना आवश्यक है। राम दरबार की पूजा से घर में अनुशासन, प्रेम और एकता का संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, घर से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से राम दरबार की पूजा करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
राम दरबार से जुड़े वास्तु नियम
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में राम दरबार की मूर्ति और तस्वीर दोनों को रखना शुभ माना जाता है। घर के मंदिर में राम दरबार की मूर्ति को पूर्व दिशा में रखना चाहिए, जबकि तस्वीर को पूर्व दिशा की दीवार पर ऊंचाई पर स्थापित करना चाहिए। राम दरबार की मूर्ति पत्थर, पीतल, चांदी या सोने से बनी होनी चाहिए, और इसकी ऊंचाई 6 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए।
राम दरबार की पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान के बाद शुद्ध कपड़े पहनें।
- घर और विशेषकर पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर के मंदिर में एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- पूर्व दिशा में राम दरबार की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- राम जी का पंचामृत से अभिषेक करें।
- देवी-देवताओं को रोली, अक्षत, फल, फूल और नेवैद्य अर्पित करें।
- प्रसाद चढ़ाएं और देसी घी का दीपक जलाएं।
- राम समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
- रामचरितमानस का पाठ और राम जी के मंत्रों का जाप करें।
- सभी को प्रसाद वितरित करें।