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राम लक्ष्मण द्वादशी 2025: महत्व और मान्यताएं

राम लक्ष्मण द्वादशी 2025 एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। राजा दशरथ के संतान प्राप्ति के लिए किए गए व्रत से जुड़ी मान्यताएं और इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानें। इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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राम लक्ष्मण द्वादशी 2025: महत्व और मान्यताएं

राम लक्ष्मण द्वादशी का महत्व

राम लक्ष्मण द्वादशी 2025: पंचांग के अनुसार, आज राम लक्ष्मण द्वादशी का व्रत है, जो एक अत्यंत पुण्यदायक और श्रद्धा से जुड़ा पावन दिन है। यह पर्व भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और श्रीकृष्ण को समर्पित है। हर साल यह पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का संबंध भगवान विष्णु और शेषनाग जी के धरती पर राम और लक्ष्मण से जुड़ा होने के कारण इसे राम लक्ष्मण द्वादशी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस विशेष दिन का महत्व और मान्यताएं।


राम लक्ष्मण द्वादशी क्या है?

राम लक्ष्मण द्वादशी हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को मनाई जाती है, जो निर्जला एकादशी के अगले दिन होती है। इसे भी उतना ही पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के तीन स्वरूपों श्रीराम, लक्ष्मण (शेषनाग) और श्रीकृष्ण की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।


राजा दशरथ का व्रत

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को श्रद्धा से किया था। कहा जाता है कि व्रत और पूजा के प्रभाव से भगवान विष्णु ने श्रीराम और लक्ष्मण के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया। यदि दशरथ जी ने यह व्रत न रखा होता, तो उनका पुत्रकामेष्टि यज्ञ पूरा नहीं हो पाता। इसलिए भक्त इस व्रत को आस्था और श्रद्धा से करते आ रहे हैं।


चंपक द्वादशी का नाम

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को 'चंपक द्वादशी' भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार विशेष रूप से चंपा के फूलों से किया जाता है, क्योंकि ये फूल उन्हें प्रिय माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंपा के फूल अर्पित करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि चंपा न मिलें, तो सफेद रंग के किसी भी फूल से पूजा की जा सकती है।


मनोकामनाओं की पूर्ति

ऐसा विश्वास है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से पुत्र-पौत्र, धन-धान्य सहित सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। जो भक्त पुत्र प्राप्ति, जीवन में सुख और आध्यात्मिक उन्नति की कामना रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है।


जानकारी का स्रोत

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है।