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रामायण के अनसुने तथ्य: रावण, माता सीता और श्राप की कहानी

रामायण के अद्भुत तथ्यों की खोज में, हम रावण और माता सीता की कहानी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जानें कैसे रावण ने माता सीता का अपहरण किया और रंभा द्वारा दिए गए श्राप ने उसकी किस्मत को प्रभावित किया। इसके अलावा, गिद्धराज जटायु की वीरता और 33 करोड़ देवी-देवताओं की भ्रांति के बारे में भी जानें। यह लेख आपको रामायण के अनसुने पहलुओं से परिचित कराएगा।
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रामायण के अनसुने तथ्य: रावण, माता सीता और श्राप की कहानी

रामायण के अद्भुत तथ्य

रामायण के तथ्य: जब रावण माता सीता का अपहरण कर उन्हें अशोक वाटिका में ले गया, तब माता सीता भूखी थीं। उन्होंने रावण द्वारा अधर्म से प्राप्त भोजन को खाने से मना कर दिया। इस स्थिति को देखकर ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव के माध्यम से दिव्य खीर भेजी। इंद्र ने चालाकी से यह खीर राक्षसों को खिला दी, जिससे वे गहरी नींद में सो गए। इसके बाद, ब्रह्मा जी के कहने पर माता सीता ने इस दिव्य खीर का सेवन किया, जिससे उनकी भूख और प्यास शांत हो गई।


रंभा का श्राप रावण के लिए

रावण अपनी मायावी शक्तियों के कारण कहीं भी जा सकता था। एक बार वह स्वर्ग में रंभा नाम की अप्सरा पर मोहित हो गया। रंभा ने उसे समझाने की कोशिश की कि वह उसके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की प्रेमिका है, इसलिए वह उसकी पुत्रवधू के समान है। लेकिन रावण ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और उसके साथ बलात्कार किया। रंभा ने रावण को श्राप दिया कि यदि वह भविष्य में किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा, तो उसका सिर सौ टुकड़ों में बंट जाएगा। इस श्राप के कारण रावण ने कभी माता सीता को छुआ नहीं।


जटायु का बलिदान

गिद्धराज जटायु के पिता सूर्यदेव के सारथी अरुण थे

गिद्धराज जटायु, जिन्होंने माता सीता को बचाने का प्रयास किया, के पिता अरुण सूर्यदेव के सारथी थे। जटायु की वीरता और बलिदान की कहानी रामायण में अमर है। उनकी मृत्यु के बाद भगवान श्रीराम ने गोदावरी नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार किया। आज भी छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में गिद्धराज जटायु का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।


33 करोड़ देवी-देवताओं की भ्रांति

33 करोड़ नहीं, सिर्फ 33 देवी-देवता

हिंदू धर्म में अक्सर 33 करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख किया जाता है, लेकिन यह एक भ्रांति है। रामायण के अरण्यकांड के 14वें सर्ग के 14वें श्लोक में स्पष्ट किया गया है कि केवल 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। इनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विनी कुमार शामिल हैं। यह संख्या प्रतीकात्मक है और इसे करोड़ों देवी-देवताओं के रूप में भौतिक रूप से समझना गलत है।


शूर्पणखा का श्राप

शूर्पणखा ने चुपके से दिया रावण को श्राप

रावण की बहन शूर्पणखा राजा कालकेय के सेनापति विद्युतजिव्ह से प्रेम करती थी और उससे विवाह करना चाहती थी। लेकिन रावण ने राजा कालकेय के राज्य पर विजय प्राप्त करते समय विद्युतजिव्ह को मार डाला। यह जानते हुए भी कि उसकी बहन विद्युतजिव्ह से प्रेम करती है, उसने अपनी महत्वाकांक्षा को प्राथमिकता दी। शूर्पणखा ने चुपके से अपने प्रेमी की मृत्यु पर शोक मनाया और रावण को श्राप दिया कि उसके कारण उसका कुल नष्ट हो जाएगा।