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रोहतक की युवती बनी जैन साध्वी, लब्धि जी महाराज के नाम से जानी जाएंगी

हरियाणा के रोहतक की एक युवती ने जैन साध्वी बनने की प्रक्रिया पूरी की और अब लब्धि जी महाराज के नाम से जानी जाएंगी। दीक्षा समारोह में पारंपरिक रस्मों का पालन किया गया, जिसमें भाइयों को राखी बांधना और बाल मुंडवाना शामिल था। जानें इस विशेष अवसर पर उनके परिवार और साधुओं द्वारा किए गए सभी महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में।
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रोहतक की युवती बनी जैन साध्वी, लब्धि जी महाराज के नाम से जानी जाएंगी

लब्धि जी महाराज का नामकरण


हरियाणा के रोहतक की एक युवती ने गुरुवार को विधिवत रूप से जैन साध्वी बनने की प्रक्रिया पूरी की। लगभग 6 घंटे तक चले दीक्षा समारोह के बाद, उन्हें जैन स्थानक भेजा गया। अब से वह लब्धि जी महाराज के नाम से जानी जाएंगी। इस कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने अपने भाइयों को राखी बांधी और पारंपरिक रस्मों के अनुसार अपने बाल मुंडवाए। मुनियों ने उनका नाम बदलकर लब्धि जी महाराज रखा और उन्हें जैन स्थानक भेज दिया। 12 जून को रेलवे रोड स्थित जैन स्थानक में उनका बड़ा पाठ आयोजित किया जाएगा, जिसके बाद उनकी साध्वी बनने की प्रक्रिया पूरी होगी।


साध्वी बनने की रस्में

लब्धि की साध्वी बनने की यात्रा 28 मई को केसर रस्म के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद विभिन्न रस्में जैसे बान, हल्दी और मेहंदी का आयोजन किया गया। गुरुवार की सुबह 6 बजे तिलक की रस्म हुई, जिसमें उन्होंने भाइयों को राखी बांधी। इसके बाद जैन स्थानक से रथ यात्रा निकाली गई, जिसमें लब्धि के परिवार के सदस्य भी शामिल थे।


गाजे-बाजे के साथ रथ यात्रा सुबह 10 बजे दीक्षा स्थल पर पहुंची। वहां, लब्धि के भाइयों ने उन्हें गोद में उठाकर मंच तक ले गए। इस दौरान भजन गाए गए और लब्धि ने अपने आभूषण उतार दिए। फिर, मशीन से उनके बाल काटे गए, जिसमें कुछ बाल सिर पर ही छोड़ दिए गए।


दीक्षा मंत्र का आयोजन

जैन साधु अभिषेक मुनि और आशीष मुनि ने लब्धि को दीक्षा मंत्र प्रदान किया। इस अवसर पर उनका नया नाम लब्धि जी महाराज रखा गया। वह अब जैन साध्वी महाप्रज्ञा की शिष्या बन गई हैं। दीक्षा मंत्र के बाद उन्हें एक भोजन पात्र और एक ग्रंथ भी दिया गया।


जैन स्थानक की ओर प्रस्थान

दीक्षा मंत्र के बाद, लब्धि जी महाराज के माता-पिता और भाइयों ने उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद, धर्म के बने माता-पिता और श्रद्धालुओं ने भी उनका आशीर्वाद लिया। अंत में, सभी रस्मों के पूर्ण होने के बाद, लब्धि जी महाराज जैन साध्वियों के साथ जैन स्थानक की ओर रवाना हो गईं।