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वट पूर्णिमा व्रत 2025: नियम और पूजा विधि

वट पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्व और इसे मनाने के नियम जानें। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। जानें कैसे इस दिन व्रति महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। इस लेख में व्रत के नियम और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
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वट पूर्णिमा व्रत 2025: नियम और पूजा विधि

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व

Vat Purnima Vrat 2025 Niyam: वट पूर्णिमा का व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और बलिदान का प्रतीक है। यह व्रत सत्यवान और सावित्री की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपनी तपस्या से यमराज को अपने पति का जीवन लौटाने के लिए मजबूर किया था। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं।


वट पूर्णिमा व्रत की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 11 जून 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। हालांकि, जो महिलाएं उदयातिथि को मानती हैं, वे 10 जून 2025 को वट पूर्णिमा का व्रत रखेंगी। इस व्रत के दौरान महिलाओं को कई नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।


वट पूर्णिमा व्रत से जुड़े नियम


  • व्रत के दिन काले और नीले जैसे गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मकता का प्रतीक माने जाते हैं।

  • प्याज, लहसुन, मांस और मछली जैसी तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है।

  • व्रत के दिन कटु भाषा का प्रयोग और किसी का अपमान करने से बचना चाहिए।

  • साधक को आंतरिक शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए। सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • इस दिन मौसमी फल, दूध से बनी चीजें, सूखे मेवे, कुट्टू-सिंघाटे के आटे से बनी चीजें, शकरकंद, आलू, नारियल पानी, साबूदाना और सेंधा नमक का सेवन करें।

  • व्रत के दौरान दिन में सोने से बचें।

  • नाखून और बाल काटने से बचें, क्योंकि इससे आपके सुहाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


वट पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

व्रती महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें। सोलह श्रृंगार करें और वट वृक्ष की पूजा करें। पेड़ के पास सत्यवान और सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें। देवी सावित्री, सत्यवान जी, विष्णु जी और लक्ष्मी जी की पूजा करें। उन्हें सात प्रकार के अनाज, कुमकुम, चावल, फल, पान के पत्ते, मिठाई और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। वृक्ष की परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटें और पेड़ की जड़ में लोटे से पानी डालें। वट पूर्णिमा व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। अगले दिन कुछ मीठा खाकर व्रत का पारण करें।