वास्तु शास्त्र: तीन दरवाजों की रेखा से बचने के उपाय
वास्तु शास्त्र का महत्व
भारतीय वास्तुशास्त्र केवल भवन निर्माण का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह उस स्थान में ऊर्जा के संतुलन का भी ध्यान रखता है। यदि भवन निर्माण में वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाता है, तो यह सुख और समृद्धि का स्थान बनने के बजाय समस्याओं का कारण बन सकता है। एक मान्यता के अनुसार, यदि घर में तीन दरवाजे एक सीधी रेखा में होते हैं, तो यह स्थिति अशुभ मानी जाती है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।वास्तु विशेषज्ञ मुकुल रस्तोगी के अनुसार, जब तीन दरवाजे एक सीधी रेखा में होते हैं, तो यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोकता है। ऊर्जा एक दरवाजे से प्रवेश कर दूसरे दरवाजे से बाहर निकल जाती है, जिससे घर की बरकत प्रभावित होती है। धन की आवक तो होती है, लेकिन वह टिक नहीं पाती।
आर्थिक और मानसिक प्रभाव
ऐसे घरों में देखा गया है कि धन की आवक जितनी तेजी से होती है, खर्च भी उतनी ही तेजी से होता है। तीन दरवाजों की यह व्यवस्था वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती है, जिससे परिवार के सदस्य मानसिक तनाव का सामना कर सकते हैं।
इसके अलावा, तीन दरवाजों की रेखा केवल आर्थिक समस्याओं का कारण नहीं बनती, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। वास्तु के अनुसार, इस प्रकार की संरचना घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश कराती है, जिससे परिवार के सदस्य बार-बार बीमार पड़ सकते हैं या निराशा का अनुभव कर सकते हैं।
साधारण उपाय
यदि घर में पहले से ही तीन दरवाजे एक सीध में हैं और उन्हें हटाना संभव नहीं है, तो कुछ सरल उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, बीच वाले दरवाजे पर एक अच्छी गुणवत्ता वाली विंड चाइम लगाना शुभ माना जाता है। यह ध्वनि के माध्यम से ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करती है।
इसके अलावा, अंतिम दरवाजे पर मोटा पर्दा लगाना चाहिए, ताकि ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो और वह घर में ठहर सके। एक अन्य उपाय के रूप में, पहले दरवाजे के फ्रेम पर तीन क्रिस्टल बॉल लगाना लाभकारी हो सकता है। इन बॉल्स को इस तरह से लगाना चाहिए कि दो किनारों पर और एक बीच में हो। कोशिश करें कि तीन में से कोई एक दरवाजा अधिकतर समय बंद रखा जाए।