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विवाह पंचमी: विशेष योगों के साथ आज का दिन है शुभ

विवाह पंचमी के अवसर पर आज विशेष योगों का निर्माण हो रहा है, जो मांगलिक कार्यों में सफलता की संभावना को बढ़ाते हैं। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था, जिससे इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है। शिववास, ध्रुव और सर्वार्थ सिद्धि योग के प्रभाव से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।
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विवाह पंचमी: विशेष योगों के साथ आज का दिन है शुभ

शिववास, ध्रुव और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सफल होंगे मांगलिक कार्य


विवाह पंचमी का महत्व: आज मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है, जिसे विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो मांगलिक कार्यों में सफलता की संभावना को बढ़ाते हैं।


शिववास योग: मानसिक शांति और दिव्य संरक्षण


विवाह पंचमी पर बनने वाला शिववास योग इस दिन को और भी शुभ बनाता है। इस योग के प्रभाव से मन को शांति मिलती है और पूजा का फल जल्दी मिलता है। इस दिन की गई प्रार्थना और व्रत अधिक प्रभावी माने जाते हैं।


ध्रुव योग: स्थिरता और दीर्घकालिक सफलता


ध्रुव योग इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह योग जीवन में स्थिरता और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। इस योग में आरंभ किए गए कार्य सकारात्मक परिणामों की ओर बढ़ते हैं।


सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी कार्यों में सफलता


विवाह पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी शुभ प्रभाव रहेगा। यह योग हर प्रकार के कार्य में सफलता का संकेत देता है। इस समय किए गए पूजा-पाठ जल्दी असर दिखाते हैं।


तीनों योगों का एक साथ होना: दुर्लभ अवसर


ध्रुव, सर्वार्थ सिद्धि और शिववास योग का एक ही दिन पर होना एक अद्वितीय संयोग है। यह दिन विवाह संबंधित बाधाओं को दूर करने में सहायक माना जाता है।


पूजा का समय


राम मंदिर का ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 11:52 से 12:35 के बीच होगा। इस दौरान विवाह पंचमी की पूजा करना बहुत शुभ रहेगा।



  • राम-सीता विवाह अनुष्ठान शुभ मुहूर्त: शाम 04:49 से 06:33 तक


पूजा विधि



  • सुबह जल्दी उठकर गंगाजल डालकर स्नान करें।

  • घर के मंदिर में राम दरबार की तस्वीर स्थापित करें।

  • चंदन, रोली, पीले या लाल फूल, तुलसी दल, और मिठाई अर्पित करें।

  • भगवान राम के मंत्र का जाप करें।

  • शाम को घी के दीपक जलाएं।

  • अगर संभव हो तो एक केसरिया ध्वज फहराएं।

  • अंत में आरती कर सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।


विवाह पंचमी का महत्व


यह पर्व केवल विवाह की वर्षगांठ नहीं है, बल्कि यह धर्म, प्रेम और आदर्श गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, उन्हें इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह अनुष्ठान करवाना चाहिए।