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शनि देव: न्याय के देवता की कहानी

इस लेख में शनि देव के बारे में जानकारी दी गई है, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। जानें कैसे वे सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं, और उनके न्याय का देवता बनने की कहानी क्या है। शनि देव की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके द्वारा दिए जाने वाले कर्मफल के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
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शनि देव: न्याय के देवता की कहानी

शनि देव का परिचय

शनि देव: सूर्य के पुत्र शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। मान्यता है कि वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसके साथ ही, उन्हें अन्य देवताओं में सबसे कठोर भी माना जाता है। शनि देव हमेशा व्यक्ति के कार्यों पर नजर रखते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को वे अच्छे फल देते हैं, जबकि बुरे कर्म करने वालों को उनके क्रोध का सामना करना पड़ता है।


शनि देव की पारिवारिक पृष्ठभूमि

कौन हैं शनिदेव?

शनि देव सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं। उनके बड़े भाई का नाम यम है, जिन्हें यमराज के नाम से भी जाना जाता है। शनिदेव की बहन यमी हैं, जिन्हें यमुना के नाम से जाना जाता है। यम प्राणों का अंत करते हैं, जबकि शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि देव को क्रूर ग्रह का श्राप उनकी पत्नी ने दिया था। उनकी सवारी कौआ मानी जाती है।


शनि देव का न्याय का देवता बनने का कारण

कैसे शनिदेव बने न्याय के देवता?

एक बार शनि देव और भगवान शिव के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें शनिदेव की हार हुई। हार के बाद, शनिदेव के पिता सूर्य देव ने शिव जी से माफी मांगी। लेकिन शनिदेव की हिम्मत देखकर शिव जी काफी प्रभावित हुए। इसके बाद शिव जी ने उन्हें दण्डाधिकारी नियुक्त किया। तभी से शनिदेव को न्याय का देवता माना जाने लगा।